जिंदल पार्क में विद्युत आपूर्ति में व्यवधान से उद्योग बर्बादी की कगार पर

उद्योग बन्द होने से होगी हजारों मजदूरों की रोजी रोटी प्रभावित

रायगढ़ । जिंदल प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए इंडस्ट्रियल पार्क एसोसियेशन के पदाधिकारियों ने आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि इंडस्ट्रियल पार्क में 40 उद्योगों में अनुमानित 3000 करोड़ रुपये निवेश है । संघ ने इस बात पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जैसे ही विद्युत की मांग बढ़ती है और अधिक मूल्य में बिजली बिकती है जिंदल प्रबंधन पार्क के उद्योगों की बिजली आपूर्ति में बाधा उतपन्न करने लगता है । जिंदल समूह की इस दुर्भावना की वजह से पार्क के सभी उद्योगपति परेशान है । पिछले 50 दिनों से इंडस्ट्रियल पार्क के सभी उद्योग को केवल 10 प्रतिशत विद्युत आपूर्ति की जा रही है जिससे उत्पादन प्रभावित हो रहा है । आश्चर्य की बात यह है कि बिना लिखित सूचना के विद्युत कट की जाती है जो कि विद्युत नियामक आयोग की शर्तों का उलंघन है । पार्क में मौजूद सभी उद्योगों से केंद्र व राज्य सरकार को वर्ष भर में अनुमानित 1000 करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में हासिल होता है । पार्क के उद्योगों के जरिये अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है । पार्क के लोकार्पण के दौरान नवीन जिंदल जी ने तात्कालिक मुख्यमंत्री रमन सिंह की मौजूदगी में सार्वजनिक रूप से कहा था कि इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना स्थानीय छोटे व्यापारियों को उद्योगपति बनाने के लिये की जा रही है । यहाँ स्थापित होने वाले उद्योगों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जाएगी । छोटे व्यापारियों को उद्योग पति बनाने का सपना दिखाया गया । छोटे व्यापारियों ने अपने परम्परा गत व्यवसाय को बन्द कर पुस्तैनी जमीन को बेचा और कर्ज लेकर उद्योग की शुरुवात की । नवीन जिंदल के अच्छी सोच व सपनो को साकार कंरने के लिए मध्यमवर्गीय व्यापारियो ने अपना सब कुछ दाँव में लगाकर पार्क में उद्योग का आरंभ किया । वर्ष 2004 के दौरान जिंदल समूह ने उपभोक्ताओं से पांच साल तक 2.50 प्रत्ति यूनिट में विद्युत देने का समझौता किया । इस आधार पर अप्रैल 2005 में विद्युत नियामक आयोग ने जिंदल समूह को
विद्युत वितरण हेतु विधिवत लायसेंस जारी किया । इस समझौते के अनुसार हर वर्ष मूल्य निर्धारण हेतु जिंदल समूह को आवश्यक दस्तावेज नियामक आयोग के पास जमा करने होंगे लेकिन जिंदल समूह विधुत नियामक आयोग की शर्तों का उल्लंघन करते हुए आधी अधूरी जानकारी के साथ ही दस्तावेज जमा करता रहा । जिंदल समूह की इस दुर्भावना की वजह से पिछले एक दशक से आज तक मूल्य निर्धारण नहीं हो पाया यही वजह हैं कि जिंदल समूह व संघ के मध्य बार बार विवाद की स्थिति निर्मित होती रही है । वर्ष 2011-12 के दौरान जिंदल द्वारा आवश्यक दस्तावेज जमा किये बिना ही नियामक आयोग से मांग करते हुए कहा कि CSEB द्वारा निर्धारित दर को स्वीकृत किया जावे जिस पर विद्युत नियामक आयोग ने सहमति प्रदान कर दी । जिस पर नाराज संघ ने अपने हक के लिए APTEL की शरण ली l जिस पर APTEL ने संघ के पक्ष में फैसला देते हुए नियामक आयोग को यह निर्देश दिया कि जिंदल से आवश्यक दस्तावेज जमा करवाये जाए साथ ही रेट का निर्धारण सुनिश्चित करे । इसके परिपालन में नियामक आयोग द्वारा जिंदल समूह को आवश्यक दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया लेकिन जिंदल ने इस आदेश की अवहेलना की और दस्तावेज जमा करने में रुचि नही दिखाई जिस पर कुपित होकर नियामक आयोग ने दिसम्बर 2014 में नया आदेश जारी किया । इसके अनुसार जनवरी 2015 से नया टैरिफ वही होगा जो वर्ष 2005 के दौरान 2.50 रुपये प्रति यूनिट प्रोविजनल मूल्य निर्धारित किया गया था । लगभग 15 माह तक जिंदल समूह में नियामक आयोग के आदेशानुसार विद्युत आपूर्ति जारी रखी । अप्रैल 2016 के दौरान बिना लिखित सूचना दिए पावर कट करते हुए संघ को मानसिक दबाव में लाया गया ताकि विद्युत मूल्य वृद्धि कर 4 रुपये प्रति यूनिट किया सके । मानसिक दबाव में संघ ने इस अत्याचार को भी स्वीकार कर लिया । कुछ दिन ठीक चलता रहा जून 2018 के दौरान जिंदल समूह द्वारा पुनः सभी उद्योगों को दबाव में लाते हुए आगामी पांच सालों के लिए एक लिखित समझौता किया जिसके तहत यह तय किया गया कि पार्क में मौजूद सभी उद्योगों को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति की जाएगी । दोनो पक्षो की ओर से न्यायालय में दायर किये गए मामले वापस लिए जायेंगे । इस लिखित समझौते को बाकायदा रजिस्टर्ड भी कराया गया । नए समझौते के अनुसार विद्युत की दर 4 रुपये प्रति यूनिट तय की गई । संघ के उद्योगपतियों ने जिंदल समूह के दबाव में यह समझौता भी मान लिया । जिंदल समूह ने दो वर्ष तक इस समझौते के तहत विद्युत आपूर्ति जारी रखी उसके बाद फिर जिंदल समूह ने समझौते का उल्लंघन कर दिया । विद्युत नियामक आयोग इस समझौते के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा लेकिन संघ ने समझौते के पालन करते हुए जवाब नही दिया । संघ ने समझौते का सम्मान करते हुए न्यायालय से सारे प्रकरण वापस लिए लेकिन जिंदल समूह ने समझौते का भी उल्लंघन किया । संघ ने कहा कि बार बार विद्युत आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न होने प्लांट में हादसे की संभावना से इंकार नही किया जा सकता । बार बार उद्योगों के बन्द होने से क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो रही है । बेरोजगारी की वजह से लूट पाट व छिनतई की घटनाये बढ़ रही है । बैको के कर्ज की वजह से ब्याज का नुकसान हो रहा है ।

संघ की माँग

लगातार विद्युत आपूर्ति में व्यवधान होने की वजह से उत्पादन प्रभावित हो रहा है l आगामी तीन दिनों में जिंदल समूह द्वारा निरन्तर विद्युत आपूर्ति नही की जाती तो संघ के नेतृत्व में कार्यरत मजदूरों द्वारा शांति पूर्ण धरने के जरिए आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी ।

क्यो कर रहा जिंदल अत्याचार….
पार्क से जुड़े उद्योग पतियों ने आम जनता के समक्ष अपना मार्मिक पक्ष रखते हुए कहा कि जिंदल आखिर ऐसा अत्याचार क्यो कर रहा यह समझ से परे है । सस्ती बिजली देखकर आकर्षित छोटे व्यापारी जिंदल की इस शोषण को वजह से बर्बाद होने की कगार पर है ।

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