रायगढ़ विश्वविद्यालय में शोधपीठ प्रारंभ हो-अनिल चिकू

नंद कुमार पटेल यूनिवर्सिटी में स्वतंत्रता आंदोलनों के शोध पीठ खोले जाने की मांग

रायगढ़।रायगढ़ रियासत का निर्माण कालांतर से ही स्मर्णीय है।यह बुजुर्गों से सुना गया है कि रियासतों की भौगोलिक दृष्टि में रायगढ़ रियासत का बेहद रोचक और पर्यटनीय इतिहास है,जिसकी सांस्कृतिक विरासतों के स्थान आज भी जन-जन तक प्रचारित है । अंग्रेजों की गुलामी से लड़ने वाले रायगढ़ का स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के सिपाहियों ने सेनानियों के रूप में देश सहित रियासतों को आजाद करवाने में अपनी संघर्षनात्मक भूमिका निभाई और इतिहास को भारत की आजादी में परिवर्तित किया।
प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल को पत्र लिख कर शिक्षा के क्षेत्र में रायगढ़ जिले के युवाओं के हक की बात रखने वाले अनिल अग्रवाल ने आग्रह किया है कि यह गर्व का विषय है कि रायगढ़ जिले के अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति सहित सभी छात्रों की प्रमुख मांग यूनिवर्सिटी की स्थापना रही है जिसे नंदकुमार पटेल जी के नाम से स्थापित कर पूरा किया गया। आजादी से पूर्व के रायगढ़ व सक्ति रियासत का निर्माण निश्चित ही संस्मर्णीय है जिसका भौगोलिक,इतिहास, सांस्कृतिक विरासत और स्वतंत्रता संग्राम का आंदोलन अपने आप मे सम्पूर्ण है जिसके शोधकर्ताओं के लिये इस विश्वविद्यालय में शोधपीठ या शिक्षण विभाग खोलने से अध्ययन कर्ताओं को रायगढ़ और सक्ति जिले के विषय में अध्ययन करने का मौका मिल सकेगा।
प्रदेश के मुख्यमंत्री मंत्री भूपेश बघेल को इस पत्र की छाया-प्रति प्रेषित करके प्रदेश कांग्रेस के सचिव अनिल अग्रवाल ने बताया कि सेंट्रल प्रोविंस एवम बरार मतलब मध्यप्रान्त का मुख्यालय नागपुर रहा जहां आज भी जीरो माइल का प्रतीक है । इस मध्यप्रान्त का एक अंतिम छोर रायगढ़ रियासत रही और बगल की रियासत सक्ति थी । इसके आजादी के आंदोलनों के सेनानियों ने अपने देशभक्त पुत्रों के रूप में अपनी जवानियों को आजादी के आंदोलनों के संघर्ष में धकेल कर आजादी रूपी फतह हासिल की,रायगढ़ ओर सक्ती रियासत भारत मे विलीन एवम इसके लिये किये गए आंदोलनों के इतिहास को संजोए रखने हेतु आज़ादी के 75 वें वर्ष वाले अमृत महोत्सव में नितांत जरूरी है ।
प्रदेश कांग्रेस सचिव अनिल अग्रवाल ने बताया कि नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय, रायगढ़ में शोधपीठ एवम शिक्षण विभाग के प्रारंभ होने से रायगढ़ व सक्ति जिले के स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनों,भौगोलिक इतिहास और सांस्कृतिक विरासतों का शोधकर्ताओं के द्वारा शोध होगा और यह कार्य ऐतिहासिक होगा जो कि कांग्रेस सरकार के निर्णय से निश्चित होना है।

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