धू-धू कर जल रही गजमार की चट्टाने
दावानल को रोक पाने में विफल मुख्यालय का वनअमला

कल रात से लगी आग पर नहीं हो पाया काबू
रायगढ़ । गर्मी बढ़ते ही अब दावानल की घटनाएं शुरू होने लगी है। हमेशा गर्मी के दिनों में आग से धू धू कर जलने वाला गजमार पहाड़ी में अब दावानल की घटनाएं सामने आने लगी है। बीती रात गजमार पहाड़ी में आग की लपटें दूर से देखी जा रही थी इसके बाद मामले की जानकारी विभागीय अमला को हुआ पर रात में इस आग पर पूरी तरह काबू नहीं पाया गया। जिसका नतीजा सुबह देखने को मिला कि सुबह भी गजमार पहाड़ी में आग लगी हुई थी। भले ही कर्मचारी आग पर काबू पाने उसे बुझा रहे थे, लेकिन हर बार की तरह वे नाकामयाब ही नजर आ रहे थे।
जंगल गस्त पर उठ रहे सवाल
जंगल मे आग न लगे इसके लिए फायर वाचर, ब्लोवर मशीन सहित कई तरह की सुविधा दी जाती है। इसके बाद भी जंगल मे आग लग जाती है। इसका एक कारण यह भी माना जा सकता है कि जंगल मे नियमित गस्त न होने से छोटे से हिस्से में लगी आग धीरे धीरे फैल जाती है। इसके बाद वह भयावह रूप ले लेती है और इससे इमारती लकड़ी जलने के साथ ही वन्यजीव भी विचलित हो कर इधर उधर भागते हैं। जिससे उनके शिकार की भी संभावना बन रहती है।
क्या कहते हैं बीटगार्ड
इस संबंध में परिसर रक्षक बीट लखनलाल सिदार ने बताया कि गजमार पहाड़ी में रात में आग लगने की जानकारी के बाद उसे बुझाया गया था। संभवत: कहीं छूट गया होगा और वही फिर फैल गया। अभी भी आग को बुझाया जा रहा है।
अधिकारी को नही है परवाह-गोपाल अग्रवाल
इस संबंध में मुख्य सलाहकार, संकल्प पर्यावरण संरक्षण समिति के गोपाल अग्रवाल का कहना है कि मेडिकल कॉलेज के आगे पहाड़ों पर जंगल में होली से पहले ही आग लग गई। आग कभी भी स्वात: नही लगती लापरवाही से लगती है। पिछले कई वर्षो से वन विभाग के बड़े अधिकारियों को जंगल में आग रोकने की कोई परवाह नहीं, कोई विशेष योजना नहीं है। कई इमारती लकड़ियां तो जलती ही है अनेक वन जीवों भी इससे प्रभावित होते हैं।