जिला अस्पताल के लिये किया जाता है रेफर पर ले जाते हैं निजी क्लिनिक

रायगढ़. ग्रामीण क्षेत्रों से गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने व अस्पताल ले घर ले जाने के लिए शासन द्वारा एंबुलेंस की सुविधा दी गई है, ताकि मरीज समय से अस्पताल पहुंचे और जच्च-बच्चा दोनों स्वस्थ रहे, लेकिन इन दिनों चंद रुपयों की लालच में एंबुलेस चालक ग्रामीणों को सरकारी अस्पताल पहुंचाने के बजाय निजी अस्पताल में भर्ती करा दे रहे हैं, जिससे अस्पताल से छुट्टी होने के बाद उनको लंबी-चौड़ी बिल का भुगतान करना पड़ रहा है।
गौरतलब हो कि राज्य शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को समय से स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तरह-तरह की सुविधाएं प्रदान की जाती है, लेकिन यह सुविधाएं उन तक पहुंचती तो जरूर है, लेकिन इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे मरीजों व उनके परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान ब्लाक स्तर पर चलने वाली महतारी एक्सप्रेस व संजीवनी एक्सप्रेस के कर्मचारी मनमानी तरीके से मरीजों को सरकारी अस्पताल लाने के बजाय निजी अस्पतालों में भर्ती करा रहे हैं। ऐसे में मरीज के परिजनों को मोटी रकम चुकानी पड़ती है। साथ ही अगर पूरी रकम अदा नहीं किया जाता है तो उनको परेशान भी किया जाता है। ऐसे में शुक्रवार शाम को बरमकेला ब्लाक के करनपाली निवासी भूमिसुता बरिहा को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने मितानीन के साथ महिला को बरमकेला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां प्रसुता ने एक बच्चे को जन्म दिया, लेकिन बच्चा कमजोर होने के कारण डाक्टरों ने उसे मेडिकल कालेज अस्पताल रेफर कर दिया। ऐसे में मरीज के परिजन पीड़िता को महतारी एक्सप्रेस से रायगढ़ के लिए निकले, लेकिन कर्मचारियों द्वारा उसे मेकाहारा में लाने के बजाय रात करीब ९.३० बजे एक निजी अस्पताल में पहुंचा दिया। इस दौरान मरीज व परिजनों को यह जानकारी नहीं थी कि यह निजी अस्पताल है, ऐसे में जब शनिवार को सुबह जब अन्य लोगों से पूछताछ किया तो उसे पता चला कि यह निजी अस्पताल है, ऐसे में परिजनों को काफी दिक्कत हुई।
वहीं दूसरे मामले में सारंगढ़ ब्लाक के ग्राम बोइरमाल निवासी सोन कुमारी को गुरुवार रात में प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने उसे सारंगढ़ अस्पताल में भर्ती कराया, जहां प्रसुता ने एक बच्चे को जन्म दिया, इस दौरान जब डाक्टरों ने बच्चे की जांच किया तो पता चला कि बच्चे का वजन मात्र डेढ़ किलो है, जिससे कमजोर मानते हुए डाक्टरों ने उसे रायगढ़ मेडिकल कालेज अस्पताल के लिए रेफर किया, लेकिन सरकारी एंबुलेस के कर्मचारियों ने उसे मेकाहारा न ले जाकर शुक्रवार को सुबह निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। हालांकि बच्चे की स्थिति को देखते हुए परिजनों ने उसका उपचार वहीं पर करा रहे हैं, लेकिन अब अस्पताल द्वारा बिल पकड़ाया जा रहा है तो ग्रामीणों को भारी पड?े लगा है।
इस संबंध में रायगढ़ जिला प्रभारी का कहना है कि जितने भी सरकारी एंबुलेंस चल रहे हैं, उस वाहन से किसी भी मरीज को निजी अस्पताल ले जाने की परमिशन नहीं है, यह एंबुलेंस सिर्फ ब्लाक स्तर के अस्पताल से जिला अस्पताल तक ही ला सकते हैं। वहीं सूत्रों की मानें तो पहले इन वाहनों में जीपीएस भी लगा रहता था, लेकिन ये वाहन कंडम हो जाने के कारण इसका जीपीएस भी काम नहीं कर रहा है।
क्या कहते हैं परिजन
इस संबंध में मरीज के परिजनों ने बताया कि शुक्रवार को जब महिला को प्रसव पीड़ा हुआ तो गांव के मितानीन लक्ष्मीन चौहान के साथ उसे बरमकेला अस्पताल ले जाया गया, जहां बच्चे के पैदा होने के बाद रेफर किया गया, जिससे मितानीन अपने घर चली गई और महतारी एक्सप्रेस से उसे रायगढ़ लाया गया, लेकिन सरकारी अस्पताल न ले जाकर निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, वहीं मितानीन ने बताई कि डाक्टर द्वारा जिला अस्पताल के लिए ही लिखा गया था।
वर्जन
मरीजों को निजी अस्पताल ले जाने की परमिशन नहीं है, अगर कोई कर्मचारी इस तरह की हरकत कर रहा है तो उसकी जांच की जा रही है, अगर गलत पाया जाता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राजेश साहू, जिला प्रभारी, रायगढ़