उत्कल दिवस के दिन सौंपी जायेगी उत्कल सांस्कृतिक सेवा समिति की कमान नए हाथों में

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◆ऐसी संस्था जंहा पदलोलुप्ता न होकर सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया पर किया जाता है कार्य
रायगढ़ । समाज सेवा से बड़ा पुण्य का कार्य कोई नहीं। समाज सेवा अगर नि:स्वार्थ भाव से की जाए तो मानवता का कर्तव्य सही मायनों में निभाया जा सकता है।समाज में ऐसी भी संस्थाएं हैं जो समाजसेवा के माध्यम से मानवता का परिचय देते रहते हैं। साथ ही समाज के लोगों को मानवता का पाठ भी पढ़ाते हैं।
उनमें से एक है उत्कल सांस्कृतिक सेवा समिति जी पिछले 38 वर्षों से समाजसेवा मे अपना योगदान दे रही है।उत्कल सांस्कृतिक सेवा समिति अपनी संस्कृति को सजोने के साथ साथ मानवता की सेवा को अपना प्रमुख लक्ष्य बना कर समाजिक कार्यो का निर्वहन कर रही है।
रियासत कालीन में रायगढ़ क्षेत्र पड़ोसी राज्य ओडिसा का हिस्सा था इसलिए आज भी उत्कल समाज इस क्षेत्र में 39% जनसँख्या का प्रतिनिधित्व करती है अर्थात उत्कल जीवन शैली यंहा की प्रमुख जीवनशैली है।आगे इस का प्रमाण इस बात से भी होता है कि इस समाज से ही प्रथम विधायक व प्रथम सांसद मनोनीत हुए बतौर विधायक सिध्देश्वर गुरु जी तथा सांसद व संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य प.किशोरी मोहन त्रिपाठी जी हुए।इसी तारतम्य में महिला शिक्षा के क्षेत्र में अलख जागने का कार्य बैकुंठनाथ षड़ंगी जी ने किया। उत्कल समाज ऐसा समाज है जिसमें ज्ञान और ज्ञानियों की कमी नही है शिक्षा,कला, चित्रकार ,मूर्तिकार,खगोलशास्त्री,
संगीतज्ञ,भविष्यवक्ता व दर्शन शास्त्र के महान ज्ञानी प.भवानी शंकर षड़ंगी जी थे जिनके नाम से समाज के द्वारा एक स्कूल संचालित है जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चो को बेहतर शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाती है। कानून के ज्ञाता प.विद्याधर मिश्रा,यशवंत षड़ंगी वर्तमान में आंध्रप्रदेश के चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा चिकित्सा जगत में रोशन होने वाले नामो में डॉ प्रेमा षड़ंगी डॉ सुचित्रा त्रिपाठी,डॉ तोष नारायण षड़ंगी (न्यूरो सर्जन),डॉ प्रकाश मिश्रा,डॉ लोकेश षड़ंगी,डॉ एन सी नंदे,डॉ आरती नंदे सभी ने क्षेत्र की जनता के स्वस्थ को बेहतर करने में अपना योगदान दिया है।समय समय पर हेल्थ कैम्प भी संस्था जरूरत मन्दों को लाभ पहुँचने के लिए दुरस्थ ग्रामो में आयोजित करती है।
उत्कल समाज एक सभ्य और उत्कृष्ठ समाज है जहां पदलोलुपता के लिए कोई जगह नही है । जहां हर कोई सिर्फ सेवा को ही महत्व देता है।
उत्कल सांस्कृतिक सेवा समिति की संस्था का कार्यकाल 3 वर्षों का होता है वो तीन वर्ष पिछले कार्यकाल के पूरे हो चुके है । अब नए कार्यकाल के लिए नई कार्यकारणी का चयन किया जाना है । कौतूहल का विषय यह है कि ऐसी संस्था जो समाज के हर वर्ग को अपनी सेवाएं दे रही है उसकी बागडोर अगले तीन वर्षों के लिए किसे सौंपी जानी है?
आगामी 1 अप्रैल को परंपरानुसार उत्कल स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जाना है । उत्कल सांस्कृतिक सेवा समिति रायगढ़ द्वारा इस कार्यक्रम का गरिमामय आयोजन स्थानीय नीलाचल भवन में 1अप्रैल को संध्या किया जा रहा है । समाज के सभी सदस्यों की उपस्थिति में इसी दिन समिति के पुनर्गठन का भी निर्णय लिया गया है । पदाधिकारियों का चुनाव कम आम-सहमति से किया जाना सुनिश्चित किया गया है ।
मानव व समाज सेवा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाते हुए निरंतर विकास की ओर अग्रसर इस प्रख्यात मानव सेवी संस्था की बागडोर आगे कौन सम्हालेगा , यह देखना दिलचस्प होगा ।