जनता के धैर्य की परीक्षा ले रहीं खस्ताहाल सड़कें,बढ़ रहा आक्रोश


जाम और गर्द ओ गुबार से रायगढ़ – पूंजीपथरा मार्ग पर चलना दूभर

हरेराम तिवारी की कलम से…..


रायगढ़ । प्रदेश में एक चुनाव ख़त्म हो चुका और दूसरे इलेक्शन की तैयारी है।इस बीच तीन माह पहले हुए चुनाव में सड़क को राजनैतिक मुद्दा बनाकर मौका मिलते ही तत्काल खस्ताहाल सड़कों के उद्धार की कवायद शुरु करने का दम भरने वाले नेता भी जनता की बेचारगी और भावनाओं को भुनाकर सत्ताधीश हो गये लेकिन मतलबपरस्त राजनीति का शिकार आम नागरिक अभी भी आवागमन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण समस्या से जूझ रहा है। परिस्थितियों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानों जर्जर सड़कें रायगढ़ के नागरिकों के धैर्य की परीक्षा ले रहीं हैं !लेकिन जन समस्याओं और जनता के उम्मीद की अनदेखी कर विकास का खाका खींचने धड़ाधड़ हो रही औद्योगिक विस्तार की कार्रवाई देख आम जनता का मौन आक्रोश अब ज्वालामुखी बन फटे पड़ने की कगार पर आ पंहुचा है।
गौरतलब है कि कोयला समेत अन्य खनिज बाहुल्य रायगढ़ जिले में डेढ़ सौ से भी अधिक की संख्या मे छोटे बड़े उद्योग संचालित हैं‌ और औद्योगिक इकाईयों का तेजी से विकास एवं विस्तार भी हो रहा है‌ ! किंतु जिस गति से रायगढ़ की सडकों पर भारी वाहन बढ़े हैं उस तेजी से सडकों का निर्माण वन विस्तार नहीं हो सका है। रायगढ़-पूंजीपथरा मार्ग इसका जीवंत उदाहरण है।इस मार्ग पर सड़क की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है‌। हर दिन इस मार्ग पर तीन से चार घंटे तक जाम लगा रहता है। जितना जाम लगता है उतना ही पलूषण फैलता है।अंबिकापुर,झारखण्ड और बिहार की सारी गाडियां इसी रोड से गुजरती हैं।जिंदल कंपनी का कोयला भी इसी रोड से आता है।धूल और प्रदूषण भरे जर्जर मार्ग पर दुर्घटना के भय के साथ सत्ता और शासन को कोसते हजारों लोग इस रास्ते से गुजरते हैं।यह मार्ग कई बार सियासी नूराकुश्ती का अखाड़ा भी बन चुका है लेकिन मार्ग की तकदीर बदलने के लक्षण कहीं भी नजर नहीं आते। ये और बात है कि इस सड़क मार्ग के हालत की दुहाई देकर इस बार एक ‘साहब’ ने बाजी मार ली।सरकार मे मंत्री और नगर विधायक ओपी चौधरी ने चुनाव में सड़कों को अपनी प्राथमिकता बताया था और चुनाव के बाद अब तक सडकों की हालत में कोई परिवर्तन नहीं होना और रोजाना तीन से चार घंटे का जाम झेलना जनता की नाउम्मीदी और बेचैनी बढ़ा रहा है।

कहां खर्च हो रहे सीएसआर के 760 करोड़

एकतरफ जिले में अंधाधुंध औद्योगिक विस्तार और बढ़ता राजकोष किंतु दूसरी तरफ उम्दा सड़क और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के अपने अधिकार से वंचित रायगढ़ वासियों का सवाल है कि जब सीएसआर और डीएमएफ मद से मिनिमम 760 करोड़ से भी अधिक मिल रहे हैं तो फिर उस राशि का उपयोग प्राथमिकता के क्रम में उद्योग प्रभावित क्षेत्र के विकास में क्यों नहीं हो रहा। रायगढ़ से होने वाली आय से पूरे प्रदेश में विकास के काम और योजनाएं तय हो रही हैं लेकिन यहां के नागरिक अपने हक तो दूर जरुरतों से भी वंचित हो रहे।सीएसआर से ही रायगढ़ को चमन बन जाना चाहिए, अच्छे शहरों मे गणना होनी चाहिए।यदि सरकार और प्रशासन इसी ढर्रे पर चलते रहे और रायगढ़ के आम नागरिक की मूलभूत जरुरतों की अनदेखी चलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब जनता अपने मौलिक अधिकारों के लिए भी सड़क पर उतरकर उग्र तेवर दिखाते हुए सियासी चूलें हिलाने को मजबूर होगी। सियासी इरादे और रहनुमाओं के वादों से निराश जनता के सब्र का बांध अब कभी भी टूट सकता है।
जाम से निजात दिलाने ट्रैफिक पॉइंट जरूरी
रायगढ़ पूंजीपथरा मार्ग पर आए दिन लग रहे भारी वाहनों के जाम से निजात दिलाने कम से कम दो ट्रैफिक पॉइंट बनाना चाहिए ताकि जाम की स्थिति से निजात मिल सके।

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