हंसते-खेलते परिवारों को उजाड़ रहा ‘ सट्टा ‘…

रायगढ़ । जब किसी की शवयात्रा में लोग तख्ती लेकर प्रदर्शन करने पर विवश हो जायें तो इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीड़ा कितनी गहरी व समस्या कितनी गंभीर है।
आज शहर के एक प्यारे युवक मयंक मित्तल की अंतिम यात्रा पर ‘सट्टा’ के खिलाफ प्रदर्शन शहरवासियों के तीव्र आक्रोश को व्यक्त करता है। इस अवैध धंधे ने पिछले कुछ अरसे में न केवल कई परिवारों को बर्बादी की कगार पर धकेल दिया वरन कई लोगों को आत्महत्या के लिये विवश किया है। क्रिकेट सट्टे में कई हँसते-खेलते परिवार उजड़ चुके हैं।
दुःखद यह है कि इस पर प्रभावी नियंत्रण कर पाने में हमारा सिस्टम नाकाम ही रहा है। इसीकी परिणीति यह हुई कि दीपावली के दूसरे दिन जब शहर अन्नकूट व गुजराती नववर्ष की खुशियां मना रहा था, लोग आपस में शुभकामनाओं का आदान-प्रदान कर रहा थे, उसी बीच मयंक ने मौत को गले लगा लिया और मित्तल परिवार पर बज्राघात हो गया। जैसे ही मयंक के मौत की खबर लोगों तक पहुंची, हर किसी के मुँह से आह निकल पड़ी। लम्बे समय से संचित हो रहा आक्रोश आज एक ऐसे प्रदर्शन के रूप में सामने आया, जो इससे पहले शायद कभी देखा या सुना नहीं गया था।

शहर अब ऐसी कारगर व कड़ी कार्यवाही की अपेक्षा कर रहा है जो “सट्टा” खिलाने वालों के लिये सबक बन जाये तथा भविष्य में किसी परिवार को ऐसे दुःखद हादसे का शिकार न होना पड़े।

मुकेश जैन

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