शंखनाद रैली के बहाने ओपी चौधरी ने खेला मास्टर स्ट्रोक

रायगढ़ । अम्बिकापुर से धरमजयगढ़- घरघोड़ा होते हुए रायगढ़ को जोड़ने वाली सड़क स्टेट हाइवे क्रमांक -एक के अंतर्गत आती है । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लगभग दो वर्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी से भेंट कर प्रदेश के जिन तीन मार्गों को नेशनल हाईवे की सूची में शामिल करने तथा उनके पुनर्निर्माण हेतु राशि की मांग की थी , उसमे यह सड़क भी शामिल थी । डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में भी इस मार्ग के चौड़ीकरण की मांग कई बार उठी थी किंतु यह कभी मूर्त रूप नही ले सकी । फिलहाल धरमजयगढ़- घरघोड़ा-रायगढ़ मार्ग की हालत बेहद खराब है और भाजपा इसे मुद्दा बनाकर पदयात्रा व शंखनाद रैली के जरिये भूपेश सरकार पर लगातार हमलावर है ।
भाजपा भले ही इसे विशुद्ध जनहित का मुद्दा बता रही है लेकिन इस सारी कवायद के पीछे जिला भाजपा की गुटीय राजनीति व निजी महत्वाकांक्षाओं को भी एक बड़ा कारक माना जा रहा है । क्या कारण है कि नव नियुक्त प्रदेश भाजयुमो अध्यक्ष रवि भगत ने अभी-अभी जिस मार्ग को लेकर पदयात्रा की थी , उसी मार्ग को एक माह के भीतर ही दूसरी बार पदयात्रा के लिए चुना गया ? दरअसल ओपी चौधरी के प्रदेश महामंत्री बनकर सारंगढ़-रायगढ़ मार्ग से जब प्रथम नगर आगमन हुआ तब उनके स्वागत का जलसा बेहद फीका था । जनचर्चा रही कि ओपी के बढ़ते वर्चस्व से भयभीत जिला भाजपा के सभी गुटों ने सुनियोजित ढंग से उस समारोह का एक तरह से बायकाट किया था । यहां तक कि जिला भाजपा के कर्ता-धर्ता की सक्रियता भी नदारत थी । यह मामला मीडिया की सुर्खियों में भी रहा । इसके ठीक बाद विजय अग्रवाल की घर-वापसी के ताम-झाम भरे शक्ति-प्रदर्शन ने ओपी चौधरी की जिले में पकड़ को लेकर कई प्रश्न खड़े कर दिए । कहा जा रहा है कि इन्ही प्रश्नों के जवाब की तलाश ने इस शंखनाद रैली की पृष्ठ भूमि तैयार की और घरघोड़ा-रायगढ़ मार्ग को ही इसके लिए चुना । ओ पी ने इस बार इस क्षेत्र में निवासरत जिला भाजपा महामंत्री अरुण धर दीवान और सतीश बेहरा को अपनी योजना में शामिल किया । जिला भाजपा में परिवर्तन की सुगबुगाहट के बीच अपने प्रमोशन की संभावना तलाश रहे दोनों महा मंत्रियों ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने हेतु मौके को लपक लिया । इधर धरमजयगढ़ से टिकट के उम्मीदवार समझे जाने वाले राधेश्याम राठिया तथा रवि भगत की पदयात्रा से दूरी बनाए रखने वाले पूर्व विधायक सत्यानंद राठिया को भी जवाबदेही सौंपकर ओ पी ने एक पुख्ता रूप-रेखा बना ली । इसके बाद प्रदेश के बड़े नेताओं को आमंत्रित कर इसे एक वृहत स्वरूप प्रदान किया । साधन , सुविधा और पैसे के दम पर निजी शक्ति-प्रदर्शन करने की बजाय ओ पी ने जनहित के मुद्दे को सामने रखकर तन तोड़ मेहनत के बलबूते संघर्ष का पथ चुनकर जो मास्टर – स्ट्रोक खेला है उसे ना केवल व्यापक समर्थन मिल रहा है बल्कि प्रदेश भर में इसकी धमक सुनी जा रही है । प्रदेश नेतृत्व के समक्ष अपने नंबर बढ़ाने के लिए जिला भाजपा के हर गुट का छोटा-बड़ा नेता आज इस प्रदर्शन में शामिल होने को मजबूर है तथा ओ पी के इर्द-गिर्द फ़ोटो खींचा कर अपनी उपस्थिति के प्रमाण मीडिया में भेज रहा है । अब तक पवन साय , विजय शर्मा , धरम लाल कौशिक सहित प्रदेश स्तर के कई नेता शंखनाद पदयात्रा में शामिल हो चुके हैं और कल कलेक्टोरेट के घेराव में नवनियुक्त भाजपाध्यक्ष अरुण साव का भी नगरागमन हो रहा है । यह इस प्रदर्शन की सफलता व ओ पी के महत्व की तथा-कथा स्वयं सिद्ध करता है । कुल मिलाकर इस मेगा इवेंट के जरिये ओ पी ने एक तीर से कई निशाने साध लिए । उन्होंने जहां एक ओर अपनी अगुवाई में प्रदेश भाजपा की मंशा के अनुरूप रायगढ़ जिले में भूपेश सरकार के खिलाफ परिवर्तन का जबरदस्त हुंकार भरा है वहीं जिले में अपनी मज़बूत राजनैतिक पकड़ – अपनी राजनैतिक चतुराई व रणनीतिक कार्यकुशलता का प्रमाण भी प्रस्तुत किया है । *दिनेश मिश्र*
रायगढ़ । अम्बिकापुर से धरमजयगढ़- घरघोड़ा होते हुए रायगढ़ को जोड़ने वाली सड़क स्टेट हाइवे क्रमांक -एक के अंतर्गत आती है । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लगभग दो वर्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी से भेंट कर प्रदेश के जिन तीन मार्गों को नेशनल हाईवे की सूची में शामिल करने तथा उनके पुनर्निर्माण हेतु राशि की मांग की थी , उसमे यह सड़क भी शामिल थी । डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में भी इस मार्ग के चौड़ीकरण की मांग कई बार उठी थी किंतु यह कभी मूर्त रूप नही ले सकी । फिलहाल धरमजयगढ़- घरघोड़ा-रायगढ़ मार्ग की हालत बेहद खराब है और भाजपा इसे मुद्दा बनाकर पदयात्रा व शंखनाद रैली के जरिये भूपेश सरकार पर लगातार हमलावर है ।
भाजपा भले ही इसे विशुद्ध जनहित का मुद्दा बता रही है लेकिन इस सारी कवायद के पीछे जिला भाजपा की गुटीय राजनीति व निजी महत्वाकांक्षाओं को भी एक बड़ा कारक माना जा रहा है । क्या कारण है कि नव नियुक्त प्रदेश भाजयुमो अध्यक्ष रवि भगत ने अभी-अभी जिस मार्ग को लेकर पदयात्रा की थी , उसी मार्ग को एक माह के भीतर ही दूसरी बार पदयात्रा के लिए चुना गया ? दरअसल ओपी चौधरी के प्रदेश महामंत्री बनकर सारंगढ़-रायगढ़ मार्ग से जब प्रथम नगर आगमन हुआ तब उनके स्वागत का जलसा बेहद फीका था । जनचर्चा रही कि ओपी के बढ़ते वर्चस्व से भयभीत जिला भाजपा के सभी गुटों ने सुनियोजित ढंग से उस समारोह का एक तरह से बायकाट किया था । यहां तक कि जिला भाजपा के कर्ता-धर्ता की सक्रियता भी नदारत थी । यह मामला मीडिया की सुर्खियों में भी रहा । इसके ठीक बाद विजय अग्रवाल की घर-वापसी के ताम-झाम भरे शक्ति-प्रदर्शन ने ओपी चौधरी की जिले में पकड़ को लेकर कई प्रश्न खड़े कर दिए । कहा जा रहा है कि इन्ही प्रश्नों के जवाब की तलाश ने इस शंखनाद रैली की पृष्ठ भूमि तैयार की और घरघोड़ा-रायगढ़ मार्ग को ही इसके लिए चुना । ओ पी ने इस बार इस क्षेत्र में निवासरत जिला भाजपा महामंत्री अरुण धर दीवान और सतीश बेहरा को अपनी योजना में शामिल किया । जिला भाजपा में परिवर्तन की सुगबुगाहट के बीच अपने प्रमोशन की संभावना तलाश रहे दोनों महा मंत्रियों ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने हेतु मौके को लपक लिया । इधर धरमजयगढ़ से टिकट के उम्मीदवार समझे जाने वाले राधेश्याम राठिया तथा रवि भगत की पदयात्रा से दूरी बनाए रखने वाले पूर्व विधायक सत्यानंद राठिया को भी जवाबदेही सौंपकर ओ पी ने एक पुख्ता रूप-रेखा बना ली । इसके बाद प्रदेश के बड़े नेताओं को आमंत्रित कर इसे एक वृहत स्वरूप प्रदान किया । साधन , सुविधा और पैसे के दम पर निजी शक्ति-प्रदर्शन करने की बजाय ओ पी ने जनहित के मुद्दे को सामने रखकर तन तोड़ मेहनत के बलबूते संघर्ष का पथ चुनकर जो मास्टर – स्ट्रोक खेला है उसे ना केवल व्यापक समर्थन मिल रहा है बल्कि प्रदेश भर में इसकी धमक सुनी जा रही है । प्रदेश नेतृत्व के समक्ष अपने नंबर बढ़ाने के लिए जिला भाजपा के हर गुट का छोटा-बड़ा नेता आज इस प्रदर्शन में शामिल होने को मजबूर है तथा ओ पी के इर्द-गिर्द फ़ोटो खींचा कर अपनी उपस्थिति के प्रमाण मीडिया में भेज रहा है । अब तक पवन साय , विजय शर्मा , धरम लाल कौशिक सहित प्रदेश स्तर के कई नेता शंखनाद पदयात्रा में शामिल हो चुके हैं और कल कलेक्टोरेट के घेराव में नवनियुक्त भाजपाध्यक्ष अरुण साव का भी नगरागमन हो रहा है । यह इस प्रदर्शन की सफलता व ओ पी के महत्व की तथा-कथा स्वयं सिद्ध करता है । कुल मिलाकर इस मेगा इवेंट के जरिये ओ पी ने एक तीर से कई निशाने साध लिए । उन्होंने जहां एक ओर अपनी अगुवाई में प्रदेश भाजपा की मंशा के अनुरूप रायगढ़ जिले में भूपेश सरकार के खिलाफ परिवर्तन का जबरदस्त हुंकार भरा है वहीं जिले में अपनी मज़बूत राजनैतिक पकड़ – अपनी राजनैतिक चतुराई व रणनीतिक कार्यकुशलता का प्रमाण भी प्रस्तुत किया है । *दिनेश मिश्र*