देश की संस्कृति और अस्मिता से जुड़ी राजनीति का दूसरा नाम यानि अटल बिहारी बाजपेयी

मुकेश जैन

रायगढ़ । छत्तीसगढ़ को राज्य का उपहार देने वाले अटल जी में ऐसा क्या था जिसने उन्हें भारतीय राजनीति का शिखर पुरुष बना दिया ? राजनेता के रूप में उनका लंबा सफर ? भारत रत्न सम्मान ? 1957 से उनका राज्य सभा अथवा लोकसभा का सदस्य होना ? उनका प्रधानमंत्री होना ? उनकी अनूठी भाषण शैली ? उनका कवि मन ? या उनका शालीन व्यवहार ?

हाँ , निश्चित है ये कुछ ऐसे कारण हैं, जिन्होंने अटल जी को भारतीय राजनीति का सबसे प्रतिष्ठित राजनेता बनाया। किन्तु ये कारण इस बात की अधूरी व्याख्या करते हैं कि देशवासी अटल जी का आज भी इतना सम्मान क्यों करते हैं , उन्हें इतना क्यों चाहते हैं ? अवश्य ही इन कारणों से ज्यादा व महत्वपूर्ण कुछ और तो जरूर था अटल जी में।

श्रद्धेय अटल जी ने अपने सार्वजनिक जीवन के 50 वर्षों के विस्तृत कालखण्ड में यह दिखाया था कि जनप्रिय नेता बनने के लिये सस्ती लोकप्रियता का सहारा लेना आवश्यक नहीं है। उन्होंने दिखाया था कि चर्चित होने के लिये बाजीगरों जैसे करतब करने की जरूरत नहीं है। उनकी कार्यशैली ने यह साबित कर दिया कि राजनीति की चौपड़ में प्रतिबद्धता को दांव पर लगाना भी जरूरी नहीं है। उन्होंने जीवन में कई उतार- चढ़ाव देखे लेकिन हर परिस्थिति को निरपेक्ष भाव से लिया। अटल जी ने कभी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास नहीं किया लेकिन जिम्मेदारी के पदों के लिये वे कभी बेचैन भी नहीं दिखे।

अटल जी के शब्दों की गंभीरता और प्रमाणिकता ने उनके व्यक्तित्व को अद्वितीयता व अटूट विश्वसनीयता प्रदान की। अटल जी स्वप्नद्रष्टा थे लेकिन वास्तविकता की जमीन पर मजबूती से खड़े हुये। अटल जी का अपनी विचारधारा और भारत की सनातन संस्कृति पर अटूट भरोसा था साथ ही साथ अन्य विचारधारा के लोगों के लिये उनके मन में स्वस्थ व हार्दिक सम्मान भी था। स्पष्ट राजनीतिक सोच , अद्भुत विद्वता और व्यक्तिगत आकर्षण के कारण वे विभिन्न विचार वाले लोगों को साथ लेकर चलने में सक्षम थे। वे देश की मौजूदा समस्याओं और भविष्य की चुनौतियों दोनों को ही अच्छी तरह समझते थे। भारत के लिये उनका विशिष्ट दर्शन था और मन में इसे वास्तविकता में बदलने का दृढ़ संकल्प भी था।

संक्षेप में प्रखर राष्ट्रवाद, सकारात्मक दृष्टिकोण, स्वच्छ व ईमानदार छवि, मूल्यों पर आधारित राजनीति, दूरदृष्टि, अनुशासित व प्रतिबद्ध व्यक्तित्व का दूसरा नाम था अटल बिहारी बाजपेयी।

पुण्य तिथि पर उस दिव्य आत्मा को शत-शत नमन …

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