विदेशी वस्तुओं पर बयान भ्रामक, बच्चों में नफरत भरने की कोशिश – रुसेन कुमार

रायगढ़ । आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान की कटु आलोचना की है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को संबोधित करते हुए बच्चों से विदेशी वस्तुओं की सूची बनाने और उनसे दूरी बनाने की सलाह दी है। पार्टी के नेता रुसेन कुमार ने इसे बचकाना, भ्रामक और जनता को गुमराह करने वाला बताया और कहा कि यह बच्चों के भविष्य और मानसिकता के लिए हानिकारक है।

जारी विज्ञप्ति में आम आदमी पार्टी ने कहा कि  प्रधानमंत्री को प्रतीकात्मक राष्ट्रवाद और बच्चों को गुमराह करने वाले बयानों से बचना चाहिए । यदि सचमुच स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत बनाना है तो सरकार को चाहिए कि—घरेलू उद्योग और अनुसंधान पर निवेश बढ़ाए, स्टार्टअप्स और उद्यमिता को मज़बूती दे, और विदेशी पूंजी पर निर्भरता घटाने की ठोस नीति बनाए।

वसुधैव कुटुम्बकम और बच्चों का भविष्य

रुसेन कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री बार-बार ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का नारा देते हैं, लेकिन बच्चों को विदेशी वस्तुओं के खिलाफ खड़ा करना इस भावना के विपरीत है।

“अगर इसी सोच को लागू किया गया तो भारतीय बच्चों को विदेश जाकर पढ़ाई करने से भी रोका जाएगा। बच्चों के मासूम दिलों में इस तरह का नफरत का बीज बोना प्रधानमंत्री जैसे पद की गरिमा को कम करता है। प्रधानमंत्री को चाहिए कि वे बच्चों को वैश्विक नागरिक बनने की प्रेरणा दें, ताकि वे दुनिया भर से ज्ञान और तकनीक ग्रहण कर भारत को आगे बढ़ा सकें।”

वैश्वीकरण के दौर में जटिल वास्तविकता

रुसेन कुमार ने कहा कि आज के दौर में यह तय करना ही बेहद कठिन है कि क्या विदेशी है और क्या स्वदेशी। “भारत की अर्थव्यवस्था के अधिकांश क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर आधारित हैं। बैंकिंग, बीमा, ई-कॉमर्स, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाइयाँ, ऑटोमोबाइल से लेकर डिजिटल सेवाओं तक हर जगह विदेशी पूंजी और तकनीक का सीधा प्रभाव है। ऐसे में बच्चों से यह कहना कि विदेशी वस्तुओं से दूरी बनाओ, जनता को गुमराह करने जैसा है।”

तकनीक और विज्ञान की सार्वभौमिकता

उन्होंने आगे कहा, “तकनीक, सेवाओं और उत्पादों का मूल्य उनकी गुणवत्ता और उपयोगिता से तय होना चाहिए, न कि किसी नफरत की दृष्टि से। वैश्विक स्तर पर बनी तकनीक और सेवाओं को विदेशी कहकर बच्चों के मन में नकारात्मकता भरना उनके सीखने, नवाचार और आगे बढ़ने की प्रक्रिया को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। जो भी तकनीक और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद हैं, वे सभी विज्ञान की देन हैं और विज्ञान की उपलब्धियाँ सार्वभौमिक होती हैं।”

गांधीजी की विरासत का गलत हवाला

प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें गांधी के स्वदेशी विचार को आगे बढ़ाना है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रुसेन कुमार ने कहा: “गांधीजी का स्वदेशी विचार उस दौर में औपनिवेशिक शोषण के खिलाफ संघर्ष का हिस्सा था। आज उनके विचारों का सही अर्थ है—सतत विकास, आत्मनिर्भरता और न्यायपूर्ण अर्थव्यवस्था। लेकिन बच्चों को विदेशी वस्तुओं के खिलाफ खड़ा करना गांधीजी की सोच का गलत इस्तेमाल है।”

आत्मनिर्भर भारत बनाम नीति-विरोधाभास

रुसेन कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री एक तरफ “आत्मनिर्भर भारत” का नारा देते हैं और दूसरी ओर उनकी ही सरकार लगातार विदेशी निवेश को बढ़ावा दे रही है और उनकी सरकारें विदेशों में जाकर विदेशी सरकारों को पूंजी निवेश के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।

“विदेशी कंपनियों को टैक्स छूट, ज़मीन और पूंजीगत सुविधाएँ दी जा रही हैं। भारत की तकनीकी और औद्योगिक ज़रूरतें विदेशी पूंजी और कंपनियों से पूरी हो रही हैं। ऐसे में बच्चों को विदेशी वस्तुओं से परहेज़ की सीख देना नीतिगत दोहरापन है।”

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