कांग्रेसियों ने काली पट्टी बांध कर अपने राष्ट्रीय नेता के पक्ष में मौन धरना प्रदर्शन किया

रायगढ़ । केन्द्र सरकार जबसे सत्ता में आई है, लगातार काँग्रेस के शीर्ष नेताओं को अपने पिंजरे के तोते (ED) को भेजकर बेवजह परेशान करने का कुत्सित प्रयास करते हुए आ रही है। काँग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को केवल इसलिए भी परेशान कर रही है क्योंकि उसे मालूम है कि पूरे भारत में केवल यही काँग्रेस पार्टी है जो भाजपा को धूल चटा सकती है। जिस प्रकार से काँग्रेस पार्टी ने उदयपुर चिंतन शिविर के बाद पार्टी को फिर से मजबूती प्रदान की है और हालिया राज्यसभा चुनावों में मिली जबरदस्त जीत से भाजपा की चूले हिल गई है।

फिर एक बार केन्द्र की मोदी सरकार ने काँग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को समन भेजा है और झूठे आरोप लगाते हुए परेशान कर रही है जिसके विरोध में काँग्रेस पार्टी ने पूरे भारत भर में केन्द्र सरकार की कार्यवाही के खिलाफ काली पट्टी बांधकर मौन धरना देकर विरोध करने का निर्णय लिया। इसी कड़ी में आज जिला काँग्रेस कमेटी रायगढ़ शहर के द्वारा भी स्थानीय रामनिवास चौक ओवर ब्रिज के नीचे 11 बजे से मुँह पर काली पट्टी बांधकर मौन धरना दिया और केंद्र सरकार का जमकर विरोध किया।

मौन धरने पर कांग्रेस के रायगढ़ विधायक व जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने कहा

रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक ने कहा कि विदित हो कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस देकर तलब करने के विरोध में यह धरना प्रदर्शन आहूत किया गया है। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा वर्तमान की केंद्र में बैठी भाजपा सरकार के दबाव में राहुल गांधी को झूठे प्रकरण में फंसाकर प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष उपस्थित होने का सम्मन दिया गया है जो राजनैतिक दुर्भावना से ग्रस्त कदम है और इस कार्यवाही पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश व प्रदेश के कांग्रेसजन इन गीदड़ धमकियों से डरने वाले नहीं हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी कांग्रेसजन देश के लोकतंत्र की हत्या करने वाली भाजपा सरकार का डटकर मुक़ाबला करेंगे और ना ही हम डरेंगे और ना ही हम झुकेंगे।

जिला कांग्रेस कमेटी रायगढ़ के अध्यक्ष अनिल शुक्ला इस इस एक दिवसीय मौन धरने के विषय मे बारे कहा कि बीजेपी ईडी और अन्य संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग कर कार्यवाही कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की ओर से ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) एवं अन्य संस्थाओं के माध्यम से कांग्रेस शीर्ष नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नाजायज तौर पर परेशान किया जा रहा है।

आइए जानते हैं कि नेशनल हेराल्ड क्या है?

नेशनल हेराल्ड वो नाम है, जिसको सुनते ही अंग्रेज हुकूमत में खलबली मच जाती थी। क्योंकि ये अख़बार गुलामी के उस दौर में आज़ादी के दीवानों का साथी था- एक ऐसा साथी, जो क्रांति का जोश भरता था, जो क्रांतिकारियों के विचारों को न केवल हिन्दुस्तान बल्कि दुनियाभर में पहुंचाता था और विदेशियों को नेशनल हेराल्ड के जरिए ही भारत की आज़ादी के आंदोलन और अंग्रेजी क्रूरता के बारे में पता चलता था।
नेशनल हेराल्ड की स्थापना भले ही पंडित नेहरू ने 1938 में की थी, मगर अकेला नेशनल हेराल्ड महात्मा गाँधी-नेहरू-पटेल-मौलाना आज़ाद-तिलक-गोखले-मदन मोहन मालवीया-बोस-भगतसिंह-आज़ाद-अशफ़ाक़ था और यही कारण है कि इससे भयभीत अंग्रेज हुकूमत इस पर कई बार ताला लगाने का दुस्साहस किया।

नेशनल हेराल्ड चर्चा में क्यों?

सुब्रमण्यम स्वामी की एक शिकायत पर (FIR नहीं) ED ने सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, मोतीलाल वोरा के खिलाफ कार्रवाई शुरू की और ED ने शुरुआती जांच में पाया कि इस मामले में कोई केस बनता ही नहीं है। अब 2018-19 में ED ने इस मामले को फिर खोला और याद रहे 2018 वो साल था, जब कांग्रेस ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा को हराकर सत्ता हासिल की थी।
उसके बाद मामला शांत हो गया और अब एक बार फिर इस मामले में सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को समन भेजा है और यहाँ ये जानना जरूरी है कि ये सब उदयपुर चिंतन शिविर के तुरंत बाद हुआ है, जहाँ ”भारत जोड़ो” का नारा देकर कांग्रेस ने खुद को जिन्दा करने का संकेत दिया था।

घटनाओं की क्रोनोलॉजी हम आपको इसलिए बता रहे हैं, ताकि आप दूध का दूध और पानी का पानी कर सकें।

नेशनल हेराल्ड के भाजपाई दावों का सच
दरअसल आज़ादी के बाद समय के साथ नेशनल हेराल्ड अखबार घाटे में जाने लगा था। इस संकट से उसे उबारने के लिए कांग्रेस ने साल 2002 से 2011 के दौरान इसे 90 करोड़ रुपए लगभग 100 किश्तों में ऋण दिया। इस 90 करोड़ रुपए की राशि में से 67 करोड़ रुपए नेशनल हेराल्ड ने अपने कर्मचारियों को वेतन और VRS का भुगतान करने के लिए उपयोग किया। यहाँ ये पहलू दिलचस्प है कि आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाला अख़बार आज़ादी के बाद भी अपने कर्मचारियों के भविष्य के लिए किस कदर चिंतित था- मतलब उसूल जिंदा थे। बाकी की राशि को देनदारियों के भुगतान में इस्तेमाल किया गया। जो अख़बार कर्ज लेकर देनदारियां चुका रहा हो, वो घोटाला कैसे करेगा- ये समझ से परे है।

खैर, माली हालत के चलते यह 90 करोड़ रुपए का ऋण नेशनल हेराल्ड और उसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा चुकाना संभव नहीं था। इसलिए ऋण को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित कर दिया गया। चूंकि कांग्रेस इक्विटी शेयरों का स्वामित्व अपने पास नहीं रख सकती थी- ये बिंदु इस केस का सारा सच बयां करने के लिए काफी है। जब कांग्रेस के पास स्वामित्व ही नहीं, तो सोनिया या राहुल या मोतीलाल वोरा घोटाला कैसे करेंगे? कांग्रेस शेयरों का स्वामित्व अपने पास तो नहीं रख सकती थी, इसलिए इसको सेक्शन-25 के अंतर्गत स्थापित ‘यंग इंडियन’ नामक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी, ध्यान दीजिए आप जरा- नॉट फॉर प्रॉफिट यानि ऐसी कम्पनी जो लाभ के लिए स्थापित नहीं की गई को आवंटित कर दिया गया।

कांग्रेस लीडरशिप के तौर पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ऑस्कर फर्नांडिस, मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे आदि इस ‘नॉट-फॉर-प्रॉफिट’ कंपनी की प्रबंध समिति के सदस्य रहे, लेकिन स्वामित्व नहीं था। यह कंपनियों की सामान्य प्रैक्टिस का हिस्सा है। बड़ी कंपनियां ऐसा लगातार करती हैं, इसे अपराध नहीं कहा जाता। ये सारी प्रक्रिया हमारे कानून के तहत है।

नॉट फॉर प्रॉफिट का क्या मतलब

‘नॉट-फॉर-प्रॉफिट’ की अवधारणा पर स्थापित किसी भी कंपनी के शेयर धारक/प्रबंध समिति के सदस्य कानूनी रूप से कोई लाभांश, लाभ, वेतन या अन्य वित्तीय लाभ नहीं ले सकते हैं। इसलिए, सोनिया गांधी, राहुल गांधी या ‘यंग इंडियन’ में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी प्राप्ति या वित्तीय लाभ का प्रश्न ही नहीं उठता। जब ऐसा कुछ हुआ नहीं तो क्राइम कैसा और केस कैसा और सबसे बड़ी बात ये 5000 करोड़ का घोटाला कैसे?

मतलब सारे दावे हवा में हैं, मतलब सिर्फ पॉलिटिकल माहौल बनाया जा रहा है, मतलब भाजपा सिर्फ हवा में तीर मारकर गाँधी परिवार को निशाना बना रही है और हमको यूँ ही, फर्जी 5000 करोड़ के घोटाले का नंबर थमा दिया गया, जैसे 70000 करोड़ का थमाया गया था।

आज के इस मौन धरना प्रदर्शन में प्रमुख रूप से रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक, जिलाध्यक्ष अनिल शुक्ला, महापौर जानकी काटजू, प्रभारी महामंत्री शाखा यादव, ब्लॉक अध्यक्षों मदन महंत-विकास ठेठवार, दीपक पांडेय, दयाराम धुर्वे, संजय देवांगन, नारायण घोरे, उपेन्द्र सिंह, नरेन्द्र जुनेजा, अशरफ खान, रमेश कुमार भगत, गौतम महापात्र, श्याम लाल साहू, भरत तिवारी, प्रदीप मिश्रा, विकास बोहिदार, मुख्य संगठक सेवादल शकील अहमद (मुन्ना), महिला काँग्रेस अध्यक्ष रानी चौहान, अरुणा चौहान, अमृत लाल काटजू, संजय थवाईत, वसीम खान, शैलेश मनहर, विनोद कपूर, दुष्यंत देवांगन, वासुदेव प्रधान,पूर्णानन्द शर्मा, मनोज साहू, संजय सिंह, राम नंदन यादव, शेख़ ताज़ीम, सन्तोष कुमार चौहान, साजु खान, आशीष शर्मा, श्रेयांश शर्मा, गौरांग अधिकारी, रोहित महंत, महिला सेवादल शीला साहू, वकील अहमद सिद्दीकी, सन्तोष कुम्हार, शेख हुसैन, सोनू पुरोहित, अरविंद साहू, कौशिक भौमिक, अजहर हुसैन, दादू पटेल, पालु राम साव, आशीष केसरी, आशीष जायसवाल, विनोद सचदेव, रितेश तिवारी, नितेश ठेठवार, सन्तोष यादव, संयुक्ता सिंह राजपूत, राजू बोहिदार, कृतिका मेहर, सुप्रिया पटेल, यशोदा कश्यप, गीता नायक, शायरा बानो, उर्मिला लकड़ा, बीनू, सत्यभामा, घासीदास महंत सहित अन्य कांग्रेसी उपस्थित रहे।

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