ओ.पी. के आरोप नहीं, सरकार की एफ.आई.आर. फर्जी है

रायगढ़ (13 जून) । भाजपा के मुखर नेता ओ. पी.चौधरी पर की गई एफ.आई.आर. प्रदेश सरकार की एक सोची -समझी साजिश का हिस्सा है। इस मामले में मूल बात यह है कि जो मुद्दा उठाया गया है और जो आरोप लगे हैं वे सही हैं कि नहीं लेकिन सरकार वीडियो प्रामाणिक रूप से उसी जगह का है कि नहीं, इस बात में उलझाकर मामले को अविश्वसनीय बनाकर पल्ला झाड़ने की चालाकीपूर्ण कोशिश कर रही है। इस प्रकरण के सारे तथ्य व परिस्थितिजन्य साक्ष्य चीख-चीख कर कह रहे हैं कि ओ.पी. चौधरी के आरोप सही हैं और सरकार द्वारा दर्ज की गयी एफ. आई.आर. फर्जी है।
मामला यह है कि सोशल मीडिया में वायरल हो चुके एक वीडियो को ओ.पी. चौधरी ने 18 मई को अपने ट्वीटर हेंडल में शेयर किया जिसमें उन्होंने कोरबा के गेवरा खदान में संगठित माफिया गिरोह द्वारा खुले आम कोयला चोरी किये जाने की ओर ध्यानाकृष्ट किया था। ओ पी चौधरी के ट्वीट से राज्य सरकार की किरकिरी होने लगी और आनन-फानन में बिलासपुर रेंज के आई.जी.रतनलाल डांगी को कार्यवाही व जांच के आदेश जारी करने पड़े। मामला गर्म होने के कारण स्वाभाविक रूप से कोयला चोर सतर्क हो गये थे इसके बावजूद पहले ही दिन हरदी बाजार, कुसमुंडा तथा दीपिका थाना क्षेत्र में सात ट्रक व पिकअप वाहन जप्त किये गए और अलग अलग थानों में सभी वाहन चालकों पर धारा 42(1-4) के तहत अपराध पंजीबद्व किये गये। अलग -अलग स्थानों पर कोयला चोरों को खदेड़ने हेतु लाठी प्रहार किया गया जिसमें अनेक लोगों के घायल होने के समाचार सुर्खियों में रहे। क्या ये बातें ओ पी चौधरी के इस आरोप को प्रमाणित नहीं करती हैं कि गेवरा खदान में माफियाओं द्वारा खुली चोरी की जा रही है ?
पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने हरदी बाज़ार व दीपिका थाने के थानेदारों को तुरंत लाइन अटैच कर दिया एवं कुसमुंडा के थानेदार को, जिनका स्थानांतरण लम्बित था, उन्हें तत्काल प्रभाव से रिलीव कर दिया। गौरतलब है कि यदि सब कुछ सही था तो फिर अपने अधिकारियों पर सरकार ने ऐसी कार्यवाही क्यों की?
20 मई को कलेक्टर रानू साहू एवं एस.पी. भोजराम पटेल ने गेवरा खदान का दौरा किया तथा कई तरह की खामियां पाईं और तथा खदान की सुरक्षा हेतु अनेक निर्देश दिये, जो पब्लिक डोमेन में हैं।
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख आनन्द शुक्ला ने अपने बयान में यह माना कि गेवरा खदान में माफिया राज चल रहा है हालांकि अपनी सरकार की लाज बचाने हेतु उन्होंने इसका ठीकरा सी आई एस एफ पर फोड़ने का असफल प्रयास किया।
ये सभी तथ्य कह रहे हैं कि ओ.पी. के आरोप सही हैं ? इस खुली लूट को रोकने की बजाय कांग्रेस ने सुनियोजित ढंग से जिला युवक कांग्रेस के उपाध्यक्ष मधुसूदन यादव के माध्यम से बांकीमोंगरा थाने में यह शिकायत करवाई कि यह वीडियो फर्जी है। पहले ही आई.जी. द्वारा 19 मई को दिये गये आदेश पर पुलिस की एन्टी क्राइम एंड साइबर यूनिट (ACCU) वीडियो की प्रामाणिकता की जांच कर रही है। इसकी रिपोर्ट अभी तक आई नहीं है लेकिन पुलिस ने बिना जांच रिपोर्ट के ओ पी चौधरी के खिलाफ 505(1) बी के तहत एफ आई आर दर्ज कर ली। भारतीय दंड विधान की यह धारा तब लागू होती है जबकि किसी व्यक्ति द्वारा ऐसी कोई अफवाह फैलायी जाये जिससे कि समाज अथवा राज्य में अशांति,आतंक या भय फैल रहा हो। ओ पी चौधरी के ट्वीट ने जनजागरण किया है और लोकतांत्रिक अधिकार के तहत शासन-प्रशासन का ध्यानाकृष्ट किया है। सोचनीय है कि उनके ट्वीट से समाज में अशांति, आतंक या भय पैदा कैसे हुआ ? जाहिर है कि कौन सी धारा लगानी है, यह पहले तय हुआ और फिर उसी के अनुरूप शिकायत करवायी गयी है और पुलिसिया प्रकरण राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर दर्ज किया गया है।
इस तरह की राजीनीति छत्तीसगढ़ियों की संस्कृति व स्वभाव में नहीं है अतः सरकार को आम जनता से क्षमा मांगते हुये तत्काल पुलिसिया कार्यवाही को विधिवत खात्मे में डालना चाहिये अन्यथा समय आने पर जनता इसका मुंह तोड़ जवाब देगी।
मुकेश जैन
रायगढ़