जीत से ज्यादा हार के चर्चे ….!ओपी के बयान में छिपा सियासी जुनून

रायगढ़ । भाजपा की राजनीति में कर्तकर्ताओ की उम्मीदों के नायक ओपी चौधरी इन दिनों कुशा भाऊ ठाकरे शताब्दी समारोह के तहत कार्य विस्तार योजना के लिए जिले भर के दौरे पर है । उनकी सक्रियता व ऊर्जा को लेकर कार्यकर्ता हतप्रभ है और पूरे जोश खरोश के साथ सरकार की खामियों को जिला भाजपा जनमानस के सामने ला रहीं है । सोशल मंच में सक्रिय रहने वाले ओपी चौधरी के समर्थक ने एक पुराना वीडियो पोस्ट किया है जिसमें ओपी यह बोलते नजर आ रहे है कि चुनाव परिणाम के बाद जैसे ही मैं बाहर निकला राजनैतिक दल से जुड़े कार्यकर्ता शोर करके हूटिंग कर रहे थे । अचानक कुछ बच्चे दौड़ते हुए सेल्फी के लिए मेरे पास आए । मेरे साथ सेल्फी ले रहे थे और पीछे हुंटिंग व शोर चल रहा था । सहसा मुझे लगा कि राजनीति चुनाव जितने के साथ साथ दिल जीतने का भी काम है । उनके चेहरे की प्रसन्नता देख ऊर्जा मिली । ओपी ने एक कहावत का उल्लेख किया कि उनकी जीत से ज्यादा मेरे हार के चर्चे है । ओपी के इस बयान से एक बार फिर ये स्पष्ट हो गया कि वे छग में बदलाव की राजनीति के सबसे बड़े पक्षधर है उनकी राजनीति का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि बतौर कलेक्टर उनके कार्यो से छत्तीसगढ़िया जनमानस पहले से ही प्रभावित है । राजनीति से परे वे युवाओ को कोचिंग के लिए प्रेरित करते है । ओपी का स्पष्ट मानना है कि हर मनुष्य के अंदर अपार सम्भावनाये मौजूद है लेकिन आज्ञानता की वजह से वे अपरिचित है । शिक्षा को ज्ञान का सबसे बड़ा स्रोत मानने वाले ओपी हर छत्तीसगढिया को ज्ञान के स्त्रोत से जोड़ना चाहते है । अपने हर दौरे के दौरान वे यह बताना नही भूलते कि बचपन मे उनके शिक्षक पिता का देहान्त हो गया था । उनकी माता ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए मना किया और वे पढ़ाई करते रहे और छग के पहले कलेक्टर बने । आम जनता यह बात समझती है कि कलेक्टर के अधिकार बहुत सीमित है । राजनीति की मंशा के अनुरुप कार्य करना कलेक्टर्स की विवशता है । कलेक्टर की नौकरी छोड़ने का कारण बताते हुए ओपी कहते है कि घर – घर से पढ़कर डॉक्टर, इंजीनियर , कलेक्टर निकले यही उनका सियासत से परे विजन भी है ।