कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अन्याय की दोषी है कांग्रेस – गोमती साय


सांसद गोमती साय ने दी द कश्मीर फाइल्स पर प्रतिक्रिया


पत्थलगांव। रायगढ़ लोकसभा सांसद गोमती साय ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय, छत्तीसगढ़ के प्रथम नेता प्रतिपक्ष नंद कुमार साय, शौर्य प्रताप सिंह जूदेव, जिला भाजपा अध्यक्ष रोहित साय, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य नरेश नंदे, जिला पंचायत उपाध्यक्ष उपेंद्र यादव, जिला पंचायत सदस्य सालिग साय, भारत सिंह, मुकेश शर्मा, हरजीत सिंह भाटिया, रवि भगत, अनिल अग्रवाल, सुनील अग्रवाल, मनीष अग्रवाल, चरित दास, अंकित बंसल सहित भाजपा कार्यकतार्ओं के साथ पत्थलगांव में “द कश्मीर फाइल्स” देख मीडिया को जारी बयान में कहा कि कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार के लिए काँग्रेस दोषी है । नेहरू से लेकर राजीव गाँधी के कार्यकाल का सच छुपाने के लिए राज्यपाल जगमोहन को गुनाहगार बता रही है । मीडिया को जानकारी देते हुए सांसद गोमति ने बताया कि जिस राज्यपाल जगमोहन को कश्मीरी पंडित मसीहा मानते रहे काँग्रेस उसे गुनाहगार बता रही ताकि कश्मीरी पंडितों के साथ हुये अत्याचार के मामले में नेहरू से लेकर राजीव गाँधी तक के पापों को छिपाया जा सके । बेहद कड़े मिजाज के आईएएस जगमोहन बाद में सक्रिय राजनीति में आए जम्मू कश्मीर के अलावा दिल्ली और गोवा के भी राज्यपाल रहे जगमोहन का ब्यौरा उपलब्ध कराते हुए सांसद गोमती ने कहा अतीत का भयानक सच सामने आने के बाद भी कांग्रेस झूठ का सहारा ले रही है । काँग्रेस इस फिल्म को लेकर जिस राज्यपाल जगमोहन को भाजपाई बता कर गुनाहगार ठहरा रही है पहले वे कांग्रेस में थे लेकिन काँग्रेस की दोहरी व षड्यंत्र कारी मानसिकता की वजह से भाजपा से प्रभावित हुए और भाजपा प्रवेश किया । जगमोहन नई दिल्ली से तीन बार सांसद रहे । जगमोहन को मोदी सरकार के दौरान 2016 में पद्म विभूषण इंदिरा गाँधी सरकार के दौरान 1971 में पद्म श्री 1977 में पद्म भूषण पुरुस्कार से नवाजा गया था । राज्यपाल जगमोहन कभी गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे.। इमरजेंसी के दौरान संजय गाधी ने उन्हें दिल्ली के सौर्दयीकरण का जिम्मा दिया था ’ बाद मे वे इंदिरा गांधी व राजीव गांधी के भी बेहद करीबी रहे ’ तभी उन्हें पहली बार 1984 से लेकर 1989 तक जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया। इस दौरान राज्य में चारो तरफ आतंकी घटनाओं खून खराबे व दंगे का माहौल था उस दौरान जगमोहन आतंकियों के खिलाफ बड़ी सख्ती से पेश आए थे । तभी वे पाकिस्तान प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के निशाने पर आ गए । जैसे ही जम्मू और कश्मीर में उग्रवाद फिर से भड़का उन्हें दोबारा 1990 में राज्यपाल बनाया गया लेकिन कुछ महीनों के भीतर उन्हें हटा दिया गया क्योंकि उनके और केंद्र में तत्कालीन वीपी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के बीच उग्रवाद से निपटने के तरीकों को लेकर मतभेद बढ़ गए थे । फिल्म देखने के बाद आम जनता यह मान रही है कि कश्मीरी पंडितों के पलायन में कांग्रेस की अहम भूमिका रही है ।

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