दो महीनें के भीतर बिना नोटिस दिए अवैध निर्माण बेदखली की दूसरी कार्यवाही

क्या महापौर और कमिश्नर को हैं अधिकार कि वे अपनी मनमर्जी अनुसार कर सकते हैं नियमविरुद्ध कार्यवाही..??
महापौर जानकी काटजू की कार्यशैली से रायगढ़ में काँग्रेस व शहर सरकार की छवि हो रही हैं धूमिल…
रायगढ़ – कल बीतें सोमवार 7 मार्च को एक बार फिर नगर निगम कमिश्नर एस जयवर्धने व शहर सरकार की मुखिया महापौर जानकी काटजू की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग गया जब लक्ष्मीपुर चौक स्थित एक निर्माणाधीन दुकान को बिना किसी औपचारिक नोटिस व पूर्व सूचना के निगम के तोड़ू अमले ने धराशायी कर दिया, बता दें कि ये दो महीने के भीतर दूसरा मामला हैं जब निगम प्रशासन ने अतिक्रमण कारी को बिना कोई नोटिस भेजे डिस्मेंटल की कार्यवाही को अंजाम दिया है। पहला मामला बीतें 10 जनवरी 2022 के हैं जब वार्ड नं 27 में स्थित एक अवैध कब्जे व निर्माण की शिकायत मिलने पर निगम आयुक्त एस जयवर्धने के त्वरित आदेश देते हुए डिस्मेंटल की कार्यवाही की गई थी हालाँकि अब जानकारी यह भी मिल रही हैं कि उक्त सरकारी-नजूल भूमि पर एक बार पुनः अवैध कब्ज़ा व निर्माण शुरू कर दिया गया है।
कल लक्ष्मीपुर के मामलें के बाद पूरे क्षेत्र में यह जनचर्चा होती रही कि यहाँ हुई तोड़फोड़ की कार्यवाही के पीछे महापौर का व्यक्तिगत इंटरेस्ट था सम्भवतः यही भी रही होगी कि निगम की ओर से बिना किसी औपचारिक नोटिस भेजे ही उक्त निर्माण पर बुलडोजर चला दिया गया। जबकि अवैध अतिक्रमण से जुड़े वार्ड नं 25 विनोबानगर के मामलें व वार्ड नं 45 में वृंदावन कॉलोनी के सामने जहाँ सरकारी नाले को पाटने का कार्य चल रहा है में बकायदा निगम से नोटिस भी भेजा गया है पर आज तक दोनों मामलें में कोई कार्यवाही नहीं की गई हैं। वार्ड नं 25 के अवैध निर्माण के मामलें में तो यह भी जनचर्चा हैं कि इसमें “शहर सरकार की मुखिया व आयुक्त को शिष्टाचार मिलने” की वजह से ही कार्यवाही नहीं की जा रही हैं और शहर में आम जनता के बीच अब इस बात की चर्चा जोरों पर हैं कि महापौर जानकी काटजू अवैध कब्ज़े व निर्माण से जुड़े उन्हीं मामलों को संज्ञान में रखती हैं जिसमें उनका निजी इंटरेस्ट जुड़ा होता है। ऐसी बातों की सार्वजनिक चर्चा से अब रायगढ़ में न सिर्फ शहर सरकार की विश्वनीयता पर सवालिया निशान उठ रहे हैं बल्कि निगम आयुक्त एस जयवर्धने की साख और रायगढ़ कांग्रेस की छवि पर भी बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा हैं जिससे स्थानीय स्तर पर रायगढ़ काँग्रेस से जुड़े विधायक व बाकी अन्य जनप्रतिनिधियों की साख पर भी बट्टा लगना लगभग तय ही हैं।