कांग्रेस संगठन चुनाव में अध्यक्ष पद को लेकर उहापोह

रायगढ़। सियासतदानों ने जब शतरंज की बिसात में पांव रखा तो निश्चित ही शह और मात के रास्ते में आगे बढना पड़ेगा । जिले में संगठन की मजबूती को लेकर भी हाल कुछ ऐसा ही है। दिन पर दिन रायगढ़ जिले की कांग्रेस की राजनीति में हो रहे बवाल से जनता इस दृष्टिकोण की ओर बढ रही है कि भविष्य में कांग्रेस के प्रति विश्वास कैसे बना रहेगा ? रायगढ़ जिला ही नही प्रदेश व देश में जनता अपने हितों के लिए वारंटी व गारंटीयुक्त चेहरा खोजती है। 15 साल से भाजपा के शासन के बाद कांग्रेस का सत्ता में आना वास्तविकता थी पर सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस संगठन व जनप्रतिनिधियों का सामंजस्य अनिष्ट सा रहा। अब बचे डेढ साल के विधायकी कार्यकाल में अलादीन के चिराग से कुछ हो जाए तो अलग बात है। हमारा सोचना यह है कि सबसे पहले सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के कुछ महिनों के अंदर होनें वाले संगठन चुनाव से आने वाले समय में क्या हो सकता है, इसका अंदाज़ा जनता स्वाभाविक तौर पर लगा ले ।
कुछ चेहरे ऐसे हैं जो पार्टी संगठन की बागडोर सम्हाले तो रायगढ़ जिले में निश्चित ही फिर से कांग्रेस भवन में आम जनता की भीड स्वयमेव अपने कार्यो को करवाने के लिए पहुंचने लगेगी।
अब आ जाते हैं मुख्य पायदान पर, चूंकि सारंगढ़ जिला अलग बन गया इसलिए शेष रायगढ़ जिले से ग्रामीण कांग्रेस का गठन होगा जिनमें पार्टी के निष्ठावान चेहरे इस ओर अग्रेषित हैं कि वे इसका दायित्व सम्हालें। जैसे की ग्रामीण जिला कांगे्रस कमेटी में दिलीप पांडेय, नगेन्द्र नेगी, विकास शर्मा, राजा शर्मा सहित कई लोग राजनैतिक रूप से जुगत लगाने में लगे हैं। वैसे रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक भी ग्रामीण जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष हो सकते हैं।
अब शहर जिला कांगे्रस अध्यक्ष के नामों का पिटारा खोला जाए तो अग्रिम पंक्ति में राजेश भारद्वाज, हरमित घई, संजय देवांगन, राकेश पाण्डेय, शाखा यादव और राहुल शर्मा के नाम से भी बड़ा नाम अभी अभी कांगे्रस में आए बलवीर शर्मा का हो सकता है।
कांग्रेस संगठन में नए आने वाले दोनों अध्यक्षों का चेहरा जनता के हितों के लिए होगा तो निश्चित ही इसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है अन्यथा उद्योगपतियों के चौखट में नाक रगडने वालों की सूची इस पार्टी में सबसे बड़ी लंबी है।