भागवत कथा सुनने से मानव जीवन का कल्याण संभव:-पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम

बनोरा ग्राम के महिला मंडल द्वारा आयोजित भागवत कथा आयोजन में बाबा का आशीर्वचन
रायगढ़ । भागवत कथा सुनने से मानव जीवन का कल्याण संभव है और जीवन में अज्ञानता दूर होती है और ज्ञान का प्रकाश संभव है। उक्त बाते बाबा प्रियदर्शी राम जी ने ग्राम बनोरा
बनोरा ग्राम की महिला मंडल द्वारा आयोजित भागवत कथा वाचन आयोजन की आसंदी से कही।भागवत कथा के आयोजन में बीते गुरुवार अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा के संस्थापक पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम जी का आगमन हुआ। ग्राम वासियों सहित भजन मंडली ने पूज्य पाद का आत्मीय स्वागत किया। बाबा प्रियदर्शी के आगमन पर ग्राम वासियों ने अपने अपने घरों के बाहर कलश में दीप प्रज्वलित किया। महिला मंडल द्वारा आयोजित इस आयोजन को प्रेरणा दाई बताते हुए बाबा प्रियदर्शी राम ने ईश्वर का नाम सुमिरन करने की व्याख्या करते हुए सच्चा मनुष्य बनने हेतु सही दिशा बताई। भागवत कथा सुनने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा इससे मनुष्य जीवन में मौजूद अज्ञानता दूर होती है। साथ ही सारे कर्मो का क्षय हो जाता है। भागवत कथा को कर्म बंधन से मुक्ति का जरिया बताते हुए पूज्य बाबा राम जी ने कहा भागवत कथा सुनने वाले श्रद्धालु जिस भाव से सुनते है वैसा ही परिणाम मिलता है। भागवत के दौरान सुने गए विषयो का स्थिर चित से मनन करने और उसे व्यवहारिक जीवन में उतारने की आवश्यकता जताई। तभी जीवन में कल्याण संभव है। भगवान का भक्त बनने के लिए स्वार्थ परक विषय का परित्याग करना आवश्यक है। संसार में आते ही स्वार्थ से जुड़ने की वजह से परमात्मा से जुड़ाव संभव नही हो पाता। मनुष्य अपनी सरलता से भगवान को जुड़ने के लिए आसानी से विवश कर सकता है।आसक्ति, चिंतन और आश्रय के जरिए मनुष्य भगवान से जुड़कर श्रेष्ठ भक्त बन सकता है। भक्ति के लिए त्याग तपस्या आवश्यक नही है। मन की कुटिलता को दूर कर सरलता से भक्ति के मार्ग का पथिक बना जा सकता है।भागवत कथा को यही अपने व्यवहारिक जीवन में नही उतारा जाए तो मन वांछित फल हासिल नही किया जा सकता। असत्य की राह पर चलने वाले, ईश्वर विरोधी, स्वय को भगवान सिद्ध करने वाले राजा के यहां भक्त प्रह्ललाद के जन्म को संतो के सत्संग का प्रभाव बताया। ईश्वर विरोधी मानसिकता की वजह से पुत्र भक्त प्रह्ललाद को राजा पिता की अनेकों यातनाएं सहनी पड़ी लेकिन प्रहलाद ने भक्ति का मार्ग नही छोड़ा यही वजह है ईश्वर को नरसिंह अवतार लेकर राक्षस पिता हिरण कश्यप का वध करना पड़ा। भागवत कथा श्रावण की शक्ति बताते हुए बाबा प्रियदर्शी ने कहा आज भी मातृ शक्ति गर्भधारण के दौरान सत्संग एवम सद्कार्यों से संस्कार वान बालक को जन्म दे सकती है । बच्चो में संस्कार का बीजारोपण गर्भ से किए जाने की आवश्यकता बताते हुए पूज्य बाबा ने कहा ऐसे बच्चे पढ़ लिखकर देश का कल्याण और राष्ट्रहित में काम कर सकते है।इस दौरान बाबा प्रियदर्शी ने राजा परीक्षित से जुड़े प्रसंग का भी विस्तार से उल्लेख किया।