★ रायगढ़ लोकसभा से सशक्त दावेदार के रूप उभरे आर.पी.साय

★ विशिष्ट शैक्षणिक, सामाजिक व प्रशासनिक पृष्ठभूमि बनाती है साय का दावा मजबूत
(दिनेश मिश्र)
रायगढ़ । लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गयी है। मुख्य राजनीतिक दलों में दावेदारों की हलचल भी बढ़ गयी है। विशेषकर सत्तारूढ़ दल भाजपा में भारी गहमागहमी देखने को मिल रही है। कुछ दावेदार रायपुर से दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं तो कुछ दावेदार नेताओं के आगमन पर लाव-लश्कर के साथ अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। इन सबके बीच एक शख्स खामोशी से अपनी राजनीतिक जमीन बनाने में लगा हुआ। उनसे विशेष भेंटवार्ता में यद्यपि वे किसी तरह की दावेदारी की बात तो नहीं करते हैं लेकिन उनकी पृष्ठभूमि और उनकी राजनीतिक चहलकदमी को देखकर यह कयास जरूर लग रहे हैं कि वे रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के फ्रंट रनर हैं। इस छुपे रुस्तम का नाम है आर.पी.साय।
2003 बैच के आई.पी.एस अधिकारी राम प्रसाद साय 2023 में आई.जी.के पद से रिटायर हुये हैं। सेवानिवृति के बाद नवंबर 2023 में राष्ट्रीय गृहमंत्री और भाजपा के चुनावी सूत्राधार अमित शाह के कुनकुरी सभा में भाजपा में शामिल हुये थे। विधानसभा चुनाव में इन्होंने विष्णुदेव साय सहित पूरे जशपुर अंचल में भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष सक्रियता के साथ मोर्चा संभाला था। विधानसभा चुनाव के बाद भी वे बराबर पार्टी गतिविधियों में संलग्न हैं । नयी सरकार में पूर्व सांसद विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बन जाने और निवर्तमान सांसद गोमती साय के विधायक बन जाने के बाद भाजपा अब एक काबिल और सशक्त नये उम्मीदवार की तलाश कर रही है। ऐसे समय में आर.पी.साय पार्टी की पहली पसंद बन जाये तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। आर.पी.साय ने समाज शास्त्र में एम.ए. तक कि शिक्षा प्राप्त की है। वे न केवल जशपुर अंचल के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं वरन 2008 से 2010 तक रायगढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रहते हुये धरमजयगढ़ से सारंगढ तक के क्षेत्रवासियों से वे भलीभांति परिचित हैं। उन्होंने अखिल भारतीय आदिवासी कंवर समाज विकास समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहते हुये आदिवासियों को सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक विकास में उल्लेखनीय योगदान किया है। साथ ही समाज की सांस्कृतिक परम्परा व रीति-रिवाज की रक्षा करते हुये पूरे आदिवासी समाज को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य किया। ऐसा नहीं है कि वे राजनीति से अपरिचित हैं। वरन उनका पूरा कुनबा ही राजनीति कुनबा है। उनकी पत्नी सुशीला साय ग्राम पंचायत गारीघाट जिला जशपुर की निर्वाचित सरपंच रही है उनके सुपुत्र 2018 के चुनाव में जनपद पंचायत का चुनाव जीतकर फरसाबहार के जनपद अध्यक्ष निर्वाचित हुये। पूर्व संसदीय सचिव भरत साय और पूर्व विधायक रोहित साय भी रिश्तेदारी में इनके भाई हैं। जाहिर है कि एक ओर उनकी राजनीतिक पारिवारिक विरासत उनके पक्ष में है वहीं उनकी शिक्षा, प्रशासनिक क्षमता और उनके सामाजिक सेवा के कार्य उनके दावे को मजबूत बनाते हैं।
राजनीति में पदार्पण के उद्देश्य के सवाल पर वे कहते हैं कि प्रशासनिक सेवा के दौरान वे महसूस करते रहे हैं कि इस अंचल के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य , वनोपज आधारित रोजगारमूलक कार्यों और आधुनिक नागरिक सुविधाओं से जोड़ने हेतु अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। एक खिलाड़ी होने और पुलिस के अनुशासन के कारण सेवानिवृत्ति के बाद भी जो फिटनेस और ऊर्जा बरकरार है उसे सार्थक कार्यों में लगाने की सोच ने मुझे राजनीति में प्रेरित किया। धर्मांतरण के मुद्दे पर उनका स्पष्ट मत है कि गरीबी और अशिक्षा का लाभ उठाकर मिशनरीज़ द्वारा वनवासियों को भ्रामक प्रचार व प्रलोभन देकर धर्मांतरित करना आपत्तिजनक है। हमारे प्रेरणास्रोत स्वर्गीय कुमार दिलीप सिंह जूदेव ने ऑपरेशन घर वापसी चलाकर धर्मांतरित भाई-बहनों को वापस अपने मूल हिन्दू धर्म में कारगर अभियान चलाया गया था, जिसे अब उनके सुपुत्र प्रबल प्रताप सिंह जूदेव आगे बढ़ा रहे हैं। हम सब इस अभियान में उनके साथ हैं। भाजपा में लोकसभा प्रत्याशी के रूप में दावेदारी के प्रश्न पर उनका जवाब था कि मेरी कार्यशैली में यह सोच रहती है कि जो भी काम करो उसे पूरे सामर्थ्य और लगन से करो। फिलहाल मैं भाजपा संगठन द्वारा सौंपे गये कार्यों को इसी नजरिये से कर रहा हूँ। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं व नये साथियों से मिलकर मुख्यधारा की राजनीति में सहभागी बनने और आसन्न चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को मजबूत करने के काम में लगा हुआ हूँ।
बहरहाल, आर.पी.साय भले ही स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने से बच रहे हैं लेकिन उनकी गतिविधियां, लोगों के बीच उनका संपर्क, मुद्दों के संबंध में उनकी गहरी समझ तथा उनका संजीदा संवाद व गंभीर व्यक्तित्व रायगढ़ लोकसभा के अग्रणी दावेदार के तौर पर उनको स्थापित कर रही है। पार्टी सूत्रों का भी कहना है कि आर.पी.साय एक सशक्त प्रत्याशी हो सकते हैं ।