★ व्यावसायिक राजनीति करने वाली मिली-जुली कंपनी का नापाक गठबंधन है कथित सर्वसमाज
★ सर्वसमाज के ठेकेदारों के चेहरे हुए बेनकाब
★ डेंगू से उपजी बदनामियों को छिपाने के गुप्त एजेंडे के तहत आहूत की गई थी बैठक
★ कद्दावर नेता ओपी की धमक मात्र से उड़ गए कांग्रेसियों के होश , बेवजह किया बवाल
रायगढ़ । कथित सर्व-समाज नामक खेमा दरअसल विशुद्ध रूप से एक व्यावसायिक-राजनैतिक गठबंधन है । पूर्व विधायक विजय अग्रवाल के कार्यकाल के दौरान कोल् ट्रांसपोर्टिंग व्यवसाय को लेकर छिड़ी जंग में अपना व्यावसायिक व राजनैतिक अस्तित्व बचाने हेतु डंपर पार्टी के नाम से कुख्यात कांग्रेस-भाजपा की मिली-जुली कंपनी ने सर्व-समाज नामक यह नापाक गठजोड़ बनाया था । रामनवमी शोभायात्रा की आड़ में शहर की भोली-भाली जनता की धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल कर इस गठजोड़ ने तत्कालीन विधायक विजय अग्रवाल की जड़ें खोदने के काम को बखूबी अंजाम दिया था । आरंभिक वर्षों में रामनवमी जुलूस की अपार सफलता ने इस गठजोड़ के कर्ता-धर्ताओं को गुमान से भर दिया । अतः बाद में इसमें शामिल कांग्रेस-भाजपा के चालाक लोगों ने सर्व-समाज के नाम पर अपनी राजनैतिक दुकानदारी चालू कर दी । किसी भी घटना को मुद्दा बनाकर कोई भी छुटभैया सोशल मीडिया में सर्वसमाज के नाम से आव्हान कर देता है और आनन-फानन में अपने-अपने स्वार्थों से प्रेरित होकर बैठक बुला ली जाती है । इस पर तुर्रा यह कि जो लोग बैठक में शामिल नही होंगे उसे सर्व समाज विरोधी घोषित कर दिया जाता है । भयवश प्रमुख राजनैतिक दल बैठक में शामिल होने के लिए मजबूर हो जाते हैं और इनकी दुकानदारी चल पड़ती है ।
आज से पूर्व भी क्रिकेट सट्टा के मामले में शहर के एक युवा व्यवसायी की आत्महत्या से उपजी सहानुभूति को भुनाने हेतु भी सर्व समाज के नाम पर बैठक की गई थी तथा कुछ स्वयंभू लोगों ने एक व्यक्ति को समाज से बहिष्कृत करने का फरमान जारी कर दिया था । इस विषय को लेकर भी विवादित स्थिति निर्मित हो गई थी । कालांतर में डंपर पार्टी के भीतर हुए बिखराव ने सर्वसमाज नामक इस कथित संगठन में भी बिखराव ला दिया । वर्तमान में उक्त विवादित सर्व समाज संस्था एक तरह से कांग्रेस नीत व्यावसायिक राजनीतिज्ञों वाला गठबंधन बन चुका है । इसमे अपना राजनैतिक व व्यावसायिक अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे कतिपय भाजपाई भी शामिल हैं । इस स्वयम्भू संस्था में शामिल यही स्वार्थी तबका एक-दूसरे की जरूरतों के हिसाब से एजेंडे सेट करता है और सर्व समाज के नाम पर रायगढ़ के आम लोगों की भावनाओं को उभारकर स्वार्थ सिद्धि का प्रयास करता आ रहा है ।
कल की घटना में स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है कि कांग्रेस के लोग सर्वसमाज की आड़ में डेंगू की महामारी से उपजी बदनामियों से पीछा छुड़ाने के लिए इस मंच का दुरुपयोग कर रहे थे । बैठक में कांग्रेस से टिकट की दौड़ में शामिल डॉ राजू अग्रवाल , जयंत ठेठवार , बलबीर शर्मा और वर्तमान विधायक के पैरोकार अनिल शुक्ला, विधायक प्रतिनिधि राजेश भारद्वाज,राकेश पांडेय, दीपक पांडेय सदलबल शामिल थे । ये लोग सर्वसमाज के नाम पर बार-बार राजनैतिक आरोप-प्रत्यारोप ना करने की दुहाई दे रहे थे । उनकी मंशा अपनी राजनैतिक जरूरतों के अनुकूल प्रस्ताव पास कराकर आरोपों से बचने तथा डेंगू-योद्धा के रूप में श्रेय बटोरने की दिखाई पड़ रही थी । अतः जैसे ही रायपुर से निकलकर ओपी चौधरी के इस बैठक में शामिल होने की बात सामने आई तो इन्होंने बवाल खड़ा कर दिया । समझने वाली बात यह है कि जब कांग्रेस के दावेदार शामिल हो सकते हैं तो ओपी चौधरी के इस बैठक में शामिल होने पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए ?
उल्लेखनीय है कि रायपुर में अमित शाह के आगमन की तैयारियों में जुटे ओपी चौधरी सब काम छोड़कर जब इस बैठक के लिए रवाना हो चुके थे तो कांग्रेस ने तुरत-फुरत ज्ञापन सौंपने की हाय-तौबा क्यों मचा रखी थी ? केवल पंद्रह-बीस मिनट के इंतज़ार में क्या बन-बिगड़ जा रहा था ? उक्त बैठक में कांग्रेसियों की चालबाज़ियों पर सवाल खड़ा करते हुए जब फायरब्रांड नेता जयंत बोहिदार ने तीखे सवाल दागना शुरू किए तो असहज स्थिति से बचने के लिए सर्वसमाज के कांग्रेसी ठेकेदार बैठक बीच मे ही बंद कर कलेक्टोरेट की ओर क्यूं भाग खड़े हुए ? सारे तथ्य चीख-चीखकर कह रहे हैं कि कांग्रेस को बदनामी से बचाना उक्त बैठक का गुप्त एजेंडा था । शायद इसीलिए भाजपा के संभावित उम्मीदवार व कद्दावर नेता ओपी चौधरी के शामिल होने की सूचना मात्र से इनके हाथ से तोते उड़ गए ।
तथ्यों को तोड़-मरोड़कर शहर में भले ही इस प्रकरण को कांग्रेस व भाजपा की स्तर-हीन लड़ाई के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है परंतु यह साफ दिख रहा है कि पूरा किया-कराया कांग्रेस की कूटनीति व ओपी चौधरी की दमदार दावेदारी से विचलित कथित सर्वसमाज के पूर्वाग्रह ग्रस्त ठेकेदारों का है । इस प्रकरण से कथित सर्वसमाज की कलई पूरी तरह खुल चुकी है । शहर में इस नापाक गठजोड़ की तीखी आलोचनाएं हो रही है । यदि भविष्य में व्यावसायिक राजनीति करने वालों ने तथा-कथित सर्वसमाज के नाम पर रामनवमी के अलावा किसी भी बैठक की कोशिश की तो अब की बार शहर के विभिन्न समाज के लोग इनके चेहरों से नक़ाब खींचकर इनकी काली-करतूतों का पर्दाफाश करने में जरा भी देर नही लगाएंगे ।
- दिनेश मिश्र
