चौथी पढ़ी मां के दृढ़ विश्वास ने ओ पी को बनाया छत्तीसगढ़ का पहला आईएएस

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला शक्ति की कहानी

रायगढ़ । शिव ने जब सृष्टि की रचना की तब उन्हें स्त्री की आवश्कता हुई । संसार की रचना से लेकर असुरो के संहार सृष्टि को बचाने सृष्टि के नव निर्माण में माता पार्वती के अभूतपूर्व योगदान रहा । स्वयं शिव ने माता पार्वती को यथोचित सम्मान भी दिया । राजनीति से लेकर समाज लोकसभा हो या विधान सभा सब जगह महिलाओ के बराबरी की मांग उठ रही है । अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक ऐसी हकीकत जो महिला में निहित अपार शक्ति का जीवंत प्रमाण बन गई बल्कि प्रदेश के करोड़ों प्रदेश वासियों के लिए चौथी तक पढ़ी मां की संकल्प शक्ति ने एक नन्हे से बीज को वट वृक्ष में तब्दील कर दिया । प्रदेश के लाखो युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत एवम छत्तीसगढ़ के पहले सबसे कम उम्र के IAS ओपी चौधरी की सफलता का पूरा श्रेय उनकी माँ कौशल्या जी को देना कतई अतिश्योक्ति पूर्ण नही होगा ।
कम उम्र में ओपी के पिता का निधन हो गया । उन्हे आगे जाकर बड़ी आसानी से अनुकंपा नियुक्ति मिल सकती थी लेकिन मां की दृढ़ इच्छा शक्ति का सम्मान करते हुए उन्होंने अनुकम्पा नियुक्ति का परित्याग कर दिया । मां अपने छोटे बच्चे के साथ कलेक्टर के दफ्तर पेंशन लेने जाया करते थी कलेक्टर के आदेश से मिलने वाले पेंशन ने मां के साथ छोटे से बेटे को प्रभावित किया । मां का हाथ पकड़े ओपी ने संकल्प लिया कि एक दिन मैं भी कलेक्टर बनूंगा ।
माँ को बेटे के संकल्प की अनुभूति हुई । चौथी पढ़ी माँ ने इस अनुभूति को साकार रूप देने के लिए बेटे ओपी को अनुकंपा की नौकरी के रास्ते का चयन करने की बजाय कठोर परिश्रम, विषम परिस्थिति, और कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया। माँ के आदेश चरण रज को अपने माथे में लगाने वाले ओपी चौधरी
कठिन परिस्थितियों से निकलकर बड़ी बड़ी चुनौतियों का सामना कर छत्तीसगढ़ के पहले आई. ए. एस. कलेक्टर बने । यह उस मां की संकल्प शक्ति का कमाल था जिसकी वजह से ओपी ने यह मुकाम हासिल किया । इस मां ने अपने बेटे ओपी को संस्कारो का गुरु मंत्र दिया कि पद का लाभ आम जनता को मिलना चाहिए । ओपी का यह सपना था कि प्रदेश में अभावों में पल रहा बच्चा भी आसानी से मेहनत के जरिए मुकाम हासिल कर सके इसलिए कलेक्टर बनते ही ओपी ने शिक्षा योजनाओं की बाढ़ ला दी । राह आसान नहीं थी लेकिन ओपी के दृढ़ संकल्प ने शिक्षा के मामले में प्रदेश के इस पोखर को कल कल कर प्रवाहित नदी में तब्दील कर दिया यही वजह है कि शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें प्रधानमंत्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

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