स्वास्थ्य विभाग के दुलमुल रवैये के चलते झोलाछाप चिकित्सकों का अंचल में बढ़ा कारोबार


रायगढ़। जिले में झोलाछाप डाक्टरों की दुकानदारी जोरों पर चल रहा है। कई ऐसे भी डाक्टर हैं जो अपने घर में ही दुकान खोल कर बैठ गए हैं, साथ ही सुबह-शाम में ग्रामीण क्षेत्रों में घूमघूम कर ईलाज कर रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ढूलमुल रवैया के चलते भोले-भाले ग्रामीण इनके झांसे में आकर अच्छी-खासी रुपए गवां रहे हैं।
गौरतलब है कि जिले के हर ब्लाक में झोलछाप डाक्टर अपनी दुकानदारी चला रहे हैं, जिसकी जानकारी विभाग को भी है, लेकिन विभाग की मेहरबानी की वजह से इन पर कार्रवाई नहीं हो रही है। ऐसे में अभी तक तो विभाग के पास कोरोना संक्रमण का बहाना था, लेकिन अब कोरोना खत्म होने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। ऐसे में ग्रामीण अपने उपचार के लिए अच्छी-खासी रकम खर्च कर रहे हैं। जिसका लाभ झोलाछाप डाक्टरों को मिल रहा है। हालांकि कुछ विभाग द्वारा बीच-बीच में एक-दो बार जांच की जाती है, लेकिन उसके बार महिनों शांत हो जाने के कारण इनका कारोबार फिर से शुरू हो जाता है। वहीं ग्रामीणों की मानें की तो इन दिनों ज्यादातर लोगों को चर्म रोग की शिकायत आ रही है, जिससे उपचार के लिए ग्रामीण पहुंच रहे हैं, लेकिन इस दौरान इन डाक्टरों द्वारा यह बोला जाता है कि बगैर इंजेक्शन के सही नहीं होगा, ऐसे में एक इंजेक्शन लगाकर अछा खासा रुपए कमा रहे हैं, इसके साथ ही कुछ तो ऐसे हैं जो आयुर्वेद के साथ-साथ एलोपैथी का भी उपयोग कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद चर्मरोग नहीं छूट रहा है, जिससे महिनों तक ग्रामीणों को रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है प्रभाव –


ऐसे में देखा जाए तो ब्लाक स्तर पर बड़ी मात्रा में झोलाछाप डाक्टरों का कारोबार चल रहा है। जिसमें पुसौर, बरमकेला, सरिया, धरमजयगढ़, घरघोड़ा ब्लाक सहित अन्य क्षेत्रों में इनका कारोबार काफी चल रहा है। इसके साथ ही अगर शहर से करीब १५ किमी दूर कोड़ातराई क्षेत्र में जांच की जाए तो यहां दर्जनों की संख्या में वैद्य से लेकर अन्य तरह के डाक्टरों का कारोबार चल रहा है। साथ ही यहां ज्यादातर बवासीर सहित अन्य गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाता है जो मरीज के आते ही पहले से ही सौदा तय किया जाता है, जिसमें १० हजार से २० हजार रुपए तक डील किया जाता है, ऐसे में मरीजों से रुपए पहले ही ले लिया जाता है और तीन से चार माह तक दवा चलाने के लिए बोला जाता है, अगर इस दौरान बीमारी सही हो गया तो ठीक नहीं तो फिर से रुपए देने पड़ते हैैं, ऐसे में ग्रामीण यहां ठगी के शिकार हो रहे हैं।
इस संंबंध में ग्रामीणों का कहना है कि बरमकेला ब्लाक में बीच-बीच में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच की जाती है, लेकिन विभाग के अधिकारियों के वहां से आते ही इनका कारोबार शुरू हो जाता है, इस दौरान जब अधिकारी जांच में जाते हैं तो इनको पहले से ही जानकारी हो जाती है, जिससे सारा सामान हटा लिया जाता है, ऐसे में जांच के दौरान विभाग को कुछ नहीं मिलता, इस कारण ये छुट जाते हैं।

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