वेदमणि सिंह के सम्मान में ओ पी के निर्णय का कला बिरादरी ने किया स्वागत

■ संगीत एवं कला जगत ने की मुक्तकंठ से सराहना


रायगढ़ । संगीत शिरोमणि , कला गुरु वेदमणि सिंह ठाकुर ‘बेदम’ के संगीत कला एवं साहित्य की सतत तपस्या, साधना का सम्मान करते हुये रायगढ़ के यशस्वी विधायक और प्रदेश के वित्त मंत्री माननीय श्री ओ. पी. चौधरी जी ने उनके अवदानों को चिरस्थाई बनाने एवं उनकी गौरवमयी सांस्कृतिक विरासत एवं धरोहर को सहेजने, संरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए “प्रमुख प्रोजेक्ट” स्थापित करने का संकल्प लिया है, यह काफी महत्वपूर्ण है। संगीत कला एवं साहित्य जगत ही नहीं वरण पूरे अंचल में सभी वर्गों ने माननीय श्री ओ. पी. चौधरी के इस महत्वपूर्ण संकल्प की मुक्त कंठ से सराहना व प्रशंसा की है।

वेदमणि सिंह ठाकुर के भ्राता डी एस ठाकुर, वरिष्ठ शिष्यों तथा संगीत साधकों सर्वश्री जगदीश मेहर, जगवेदम संगीत महाविद्यालय के संगीताचार्य मनहरण सिंह ठाकुर, चिंतक, एवं कला समीक्षक गणेश कछवाहा, चक्रधर कला एवँ संगीत महाविद्यालय के निर्देशक देवलाल देवांगन , प्राचार्या श्रीमती चन्द्रा देवांगन, वैष्णव संगीत विद्यालय के कथक नृत्य गुरु शरद वैष्णव, माँ वैष्णवी संगीत महाविद्यालय सारंगढ़ के प्राचार्य लीलाधर वैष्णव, उग्रसेन पटेल, डॉ. आशीष देवांगन, लोक कलाकार हुतेंद्र ईश्वर शर्मा, कलाविकास केंद्र बिलासपुर के निर्देशक कथक कला गुरु सुनील वैष्णव, अन्तर्राष्ट्रीय कथक नृत्यांगना सुश्री वासंती वैष्णव, रंग कर्मी व लेखक रवींद्र चौबे, युवराज सिंह आज़ाद , भरत निषाद , प्रगति शील लेखक संघ हर्ष सिंह , वरिष्ठ शिक्षा विद एवं साहित्यकार के. के. तिवारी, साहित्यकार श्याम नारायण श्रीवास्तव, बसंत राघव साव, कमल बोहीदार, श्रीमती आशा मेहर, प्रसिद्ध कलाकार मनोज श्रीवास्तव, सीनियर एडवोकेट साथी वासुदेव शर्मा, सीनियर सिटीजन के के. एस. ठाकुर, गणेश मिश्रा , सामाजिक कार्यकर्ता उमा शंकर पटेल, मदन पटेल, सद्भावना सांस्कृतिक सेवा समिति के अध्यक्ष नीलकंठ साहू, इत्यादि पूरे अंचल से प्रबुद्ध जनों ने रायगढ़ के यशस्वी विधायक और प्रदेश के वित्त मंत्री  ओ पी चौधरी जी द्वारा कला गुरु वेदमणि सिंह ठाकुर की तपस्या साधना, सांस्कृतिक विरासत एवं धरोहर को सहेजने, संरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए “प्रमुख प्रोजेक्ट” स्थापित करने के संकल्प का ह्रदय से स्वागत करते हुए बहुत सराहना की है। इसे एक महत्वपूर्ण दूरदर्शिता पूर्ण कदम बताया है।

एक कलाकार की साधना तपस्या , लगन निष्ठा तथा समर्पण , सुदीर्घ परम्परा विरासत और साधना को संरक्षित रखने की दिशा में महत्वपूर्ण और सार्थक पहल है। आने वाली नई पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक परंपराओं , विरासत और धरोहर से परिचित होगी। नई पीढ़ी को प्रेरणा व मार्गदर्शन प्राप्त होगा।


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