कानून का दुरुपयोग करने वाले केबल संचालक सुशील मित्तल को हाईकोर्ट ने सिखाया सबक

■ थाने में दर्ज कराई गई आधारहीन व झूठी रिपोर्ट रद्द
■ पुलिस में दर्ज कराई गई प्राथमिकी को उच्च न्यायालय ने गलत ठहराया , एफ आई आर रद्द
रायगढ़ । पूर्वाग्रह से ग्रसित , झूठे व आधारहीन रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराने के रायगढ़ के एक बहुचर्चित मामले में निर्णय देते हुए उच्च-न्यायालय ने ग्रेंड विजन न्यूज़ के संचालक राजेश शुक्ला के खिलाफ प्रकरण को रद्द कर दिया है । पुलिस में दर्ज कराई गई प्राथमिकी को माननीय न्यायालय ने ना केवल गलत ठहराया है वरन इसे कानून का दुरुपयोग भी बताया है । कोर्ट ने श्री शुक्ला को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता द्वारा दिये गए तर्कों व प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर निर्दोष माना ।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ नेटवर्क व हर्ष न्यूज़ के संचालक सुशील मित्तल ने प्रकरण में पुलिस की मदद से राजेश शुक्ला के खिलाफ धोखाधड़ी व अमानत में खयानत का झूठा फौजदारी का मामला दर्ज करा दिया था जिसके खिलाफ श्री शुक्ल ने उच्चन्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की अदालत में याचिका दायर की थी ।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आवेदक एक स्थानीय केबल ऑपरेटर के रूप में कार्यरत था और उसने केवल कमीशन के आधार पर प्रसारण का अधिकार लिया था । वह कोई कर्मचारी नही था । उसके कार्यालय द्वारा बिलों के आधार पर शुल्क का नियमित भुगतान किया जाता रहा था । अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आवेदक ने भा द वि की धारा 406 , 408 व 420 के तहत कोई अपराध नही किया है । वह निर्दोष है और उसे झूठा फंसाया गया है । सबूत के तौर पर आवेदक द्वारा सभी शुल्कों के भुगतान का ब्यौरा भी कोर्ट में प्रस्तुत किया गया ।
दोनों पक्षों द्वारा दिये गए तर्कों की सुनवाई एवं प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर विद्वान न्यायधीशों ने माना कि एक झूठे मामले में पुलिस की मदद से एफ आई आर दर्ज करवाया जाना कानून का दुरुपयोग है । छत्तीसगढ़ उच्च-न्यायालय बिलासपुर के न्यायाधीशों की डबल बेंच ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए राजेश शुक्ला के विरुद्ध कथित आपराधिक मामला को गलत ठहराते हुए उनके खिलाफ दर्ज अपराध को रद्द करने का फैसला दिया । माननीय उच्च-न्यायालय के उक्त निर्णय को उन लोगों के लिए एक सबक के रूप में देखा जा रहा है जो पूर्वाग्रह से ग्रसित , झूठे व आधारहीन प्राथमिकी दर्ज कराकर अपने तुच्छ स्वार्थों की खातिर किसी निर्दोष को अकारण प्रताड़ित करते हैं ।
माननीय उच्च-न्यायालय के उक्त निर्णय से राहत महसूस कर रहे राजेश शुक्ला ने बताया कि इस प्रकरण को लेकर अनेकों दुश्चिन्ताएं मन मे घर किये हुए थी लेकिन माननीय न्यायालय के फैसले ने पूरा दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया । सत्य की हमेशा की तरह आखिरकार जीत हुई ।








