जन सरोकार से जुड़े असली मुद्दे हुए विमर्श से बाहर – मुकेश जैन

रायगढ़ । राजनीतिक निर्णयों को उत्तरोत्तर सोशल मीडिया की प्रतिक्रियाओं के माध्यम से निर्धारित करने की जिद पूरे राजनीतिक विमर्श को जातीय विमर्श में तब्दील करती हुई प्रतीत हो रही है। इसके कारण जनसरोकार से जुड़े असली मुद्दे राजनैतिक बहस से पूरी तरह बाहर हो गये हैं।

पूरे समाज के यथार्थ राजनीतिक बोध और सामाजिक संभावनाओं को किसी के निजी हित के लिये इस्तेमाल करने की इजाजत कोई भी सभ्य समाज कभी भी नहीं देता है।

विचारों का बाजार जो कि यूरोप में बना था वह अपने पग पसारते हुये कब रायगढ़ की गलियों तक धीमे पांव दाखिल हो गया, यह हम समझ ही नहीं पाये। लेकिन यह अब हमारी-आपकी और पूरे समाज की स्वतंत्र समझ व विचारात्मक चेतना को दबाकर लक्षित व गलत नरेटिव सेट करने पर उतारू है। यह हमारी सामाजिक एकता व आपसी सामंजस्य के लिये खतरनाक है तथा यह राजनीतिक व बौद्धिक तबके के लिये विचारणीय व आत्मानुसंधान का विषय है।
( मुकेश जैन)

अनाधिकार चेष्टा के लिये क्षमा प्रार्थी हूँ ।

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