भाजपा कार्यालय मार्ग अब होगा जवाहर लाल नेहरू मार्ग

विपक्षी नेताओं की चुप्पी संदेह के घेरे में

रायगढ़ ।

स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव हो अथवा अन्य कोई पावन अवसर , सत्तारूढ़ दल इसकी आड़ में राजनीति करने से बाज़ नही आती है । रायगढ़ में भी कांग्रेस ने योजनाबद्ध रूप से जिला भाजपा कार्यालय मार्ग का नामकरण जवाहर लाल नेहरू के नाम पर कर दिया है । और आश्चर्यजनक बात यह हुई कि पूरी भाजपा मौन साधे रही । जिला भाजपा का कोई बड़ा या छोटा नेता हो या भाजपा पार्षद दल अथवा निगम का नेता प्रतिपक्ष , किसी ने कोई प्रतिवाद तक करना जरूरी नही समझा । जन प्रतिक्रिया यह है कि इसी मार्ग पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. किशोरी मोहन त्रिपाठी कन्या महाविद्यालय स्थित है । यदि नामकरण आवश्यक ही था तो इस मार्ग को पं किशोरी मोहन त्रिपाठी या शहीद विप्लव त्रिपाठी मार्ग का नाम दिया जाना चाहिए था । लोगों का कहना यह भी है कि कांग्रेस , नेहरू-गांधी परिवार से ऊपर कुछ सोंच ही नही पाती तथा अपनी बेजा हरकतों से महापुरुषों के नाम पर विवादों को जन्म दे देती है । बहरहाल सच यह है कि नामकरण हो चुका है , जनता दबे स्वरों में प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है और भाजपा खामोशी की चादर ओढ़े हुए चुपचाप सो रही है ।

विपक्ष के रूप में रायगढ़ भाजपा की भूमिका फिसड्डी ही रही है । स्थानीय स्तर पर अनुभवी व वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी के बावजूद भाजपा में परिपक्वता और दमदारी की कमी साफ देखी जा रही है । ऐसा लगता है कि किसी मे ना तो मुद्दों की समझ है और ना हि स्थानीय सत्तारूढ़ दल के नेताओं से टकराने की इच्छा-शक्ति । रायगढ़ भाजपा तंत्र की पूरी कवायद आला कमान द्वारा तय कार्यक्रमों की औपचारिक खाना-पूर्ति करने तथा मीडिया को मैनेज करके अपनी फोटो व वाह-वाही छपवाने तक सीमित दिखाई देती है ।

रायगढ़ नगर-निगम में भाजपा पार्षद-दल की स्थिति हमेशा की तरह संदिग्ध व सौदेबाज़ी में मशगूल रहने की ही रही है । कांग्रेस के साथ गल बहियाँ करके अपने आर्थिक व राजनैतिक हितों को साधने व समय आने पर अपनी ही पार्टी के पाले में गोल दागने से भी निगम का भाजपाई कुनबा नही चुकता है । ऐसी स्वार्थपूर्ण शैली के बावजूद विधान-सभा टिकट पर अपना दावा पेश करने में ये लोग राजनैतिक बेशर्मी की पराकाष्ठा को भी लांघ जाते हैं । यदि इनमें पार्टी के प्रति थोड़ा सा भी आवेग पूर्ण लगाव होता तो भाजपा कार्यालय रोड का अन्य के नाम से नामकरण इतनी सहजता से नही हो पाता । इधर संजय काम्प्लेक्स निर्माण में लेट-लतीफी के पीछे सत्ता-रूढ़ दल में कमीशन बंटवारे के झगड़े को मुख्य कारण बताया जा रहा है लेकिन भाजपा पार्षद-दल इस मामले में भी चुप बैठा हुआ है । कुल मिलाकर निगम में भाजपा की स्थिति कमोबेश पार्टी को अपने ठेंगे पर रखने की ही दिखाई पड़ती है ।

यदि भाजपा का यही हाल रहा तो मिशन-2023 को ध्यान में रखकर की जा रही भाजपा आला कमान की सारी कवायद धरी की धरी रह जायेगी ।

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